जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरि महाराज ने रविवार को काशी, मथुरा को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अयोध्या के बाद काशी और मथुरा के धार्मिक स्थलों का शांति से मिल जाने के बाद हम लोग किसी अन्य सभी मंदिरों से संबंधित मुद्दों को छोड़ देंगे।
उन्होंने पुणे में एक समारोह के दौरान पत्रकारों से बातचीत में कहा कि हम चाहते हैं कि काशी और मथुरा के धार्मिक स्थलों को हमे सौंप दिया वो शान्ति से, इसके बाद हम लोग किसी अन्य सभी मंदिरों से संबंधित मुद्दों को छोड़ देंगे। उन्होंने कहा कि मैंने पहले ही बता दिया है कि तीन मंदिर शांति से मिल जाने के बाद हम अन्य मंदिरों पर ध्यान देने की इच्छा भी नहीं करते हैं, क्योंकि हम लोगों को भविष्य में जीना है।
भूतकाल में नहीं जीना है। देश का भविष्य अच्छा होना चाहिए तो इसलिए यदि समझदारी के साथ ये तीन मंदिर (अध्योया, काशी, मथुरा) हमें प्रेम से मिल जाते हैं, फिर हम सारी अन्य बातों को भूल जाएंगे।
ज्ञानवापी मामले पर स्वामी गोविंद देव गिरी ने कहा, कि मेरी हाथ जोडक़र प्रार्थना है कि इन तीन मंदिरों (अयोध्या, ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि) को सौंप देना चाहिए क्योंकि ये आक्रांताओं द्वारा हमारे ऊपर किए गए हमलों के सबसे बड़े निशान हैं। अगर मुस्लिम पक्ष इस दर्द को शांति से ठीक कर सकें, तो भाईचारा बढ़ाने में मदद मिलेगी।
बता दे कि उत्तर प्रदेश के वाराणसी में हलचल काफी बढ़ी हुई है। ज्ञानवापी व्यासजी तहखाना में पूजा के मामले को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। सुनवाई शुरू होते ही मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका लगा है। मुस्लिम पक्ष की ओर से हाई कोर्ट में गुरुवार को याचिका दायर की गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को 31 जनवरी के आदेश के तहत फटकार लगाई।
हाई कोर्ट ने तहखाना में पूजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। ज्ञानवापी व्यासजी तहखाना मामले में जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील की गई। इसमें व्यासजी तहखाने में पूजा की अनुमति के जिला जज के आदेश को चुनौती दी गई। दूसरी तरफ, मंदिर पक्ष के शैलेंद्र पाठक ने कैविएट दाखिल कर उन्हें भी सुनवाई का अवसर देने की भी मांग की थी। अब हाई कोर्ट का बड़ा फैसला आया है।
प्रयागराज ज्ञानवापी मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट में आज की सुनवाई पूरी हो गई है। मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता सीनियर एडवोकेट सैयद फरमान अहमद नकवी ने पक्ष रखा। वहीं, हिंदू पक्ष के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने मुस्लिम पक्ष की याचिका का विरोध किया। 6 फरवरी को दोपहर दो बजे होगी मामले की अगली सुनवाई होगी।