जुबिली पोस्ट ब्यूरो
लखनऊ। देश के विभिन्न राज्यों से रेलवे के जरिये टैक्सचोरी का माल लाने वाले गिरोह एक बार फिर सक्रिय हो गये हैं। वाणिज्य कर विभाग के जोनल एडीशनल कमिश्नर-ग्रेड 2 अधिकारियों के केवल ये मान लेने से कि पार्सलघर से माल निकलने के दौरान रेलवे कर्मचारी ई- वे बिल चेक कर रहे होगें और टैक्सचोरी पूरी तरह से बन्द हो गयी है, इससे काम नहीं चलेगा। अधिकारियों को कभी- कभी घूमते हुए उन रेलवे स्टेशनों पर भी जाना होगा, जहां पर बोगियों से लाखों का माल आता है।
उत्तर प्रदेश सरकार के खजाने में सेंधमारी न हो इसके लिए जरूरी है कि वाणिज्य कर मुख्यालय की एडीशनल कमिश्नर अपनी शक्तियों को पहचाने व ठीक उसे तरह प्रदेश भर में अभियान की शुरूआत कराए जैसे की पूर्व एडीशनल कमिश्नर ऑन्जनेय कुमार सिंह ने रेलवे के टैक्स माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाकर लखनऊ, कानपुर, फैजाबाद, गोरखपुर, आगरा, वारणसी, अलीगढ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों समेत दर्जनों बोगियों में भरा माल पकड़वा लिया था, जिसमें लखनऊ में ही 13 बोगियां पकड़ी गयी थीं।
टैक्स चोरी का माल लाने वाले माफिया सक्रिय, रेलवे की बोगियों से आ रहा टैक्स चोरी का माल
अब ऐसी कार्यवाईयां गुजरे दिनों की बाते हो गयी हैं, जिससे टैक्स माफियाओं के हौसले बुलन्द है। चूँकि जिले की सचल दल इकाईयों के पास चेकिंग व विशेष जांच टीम एसआईबी के साथ सहयोग करने का इतना अधिक काम है कि न तो वे रेलवे के चेकिंग पर ध्यान दे पा रहे हैं और न रेलवे पार्सलघर के बाहर रखे उस रजिस्टर को ही देख पा रहे है, जिसमें ये दर्ज होता है कि कितना माल ई-वे बिल के जरिये निकला।
इन हालातों को देखते हुए कमिश्नर अमृता सोनी को निष्क्रिय हो चुकी सेन्ट्रल मोबाइल यूनिट को एक बार फिर अस्तित्व में लगाना होगा, जिससे टैक्स माफियाओं के दिल में खौफ उत्पन्न हो सके।
यूपी देश का सबसे बड़ा उपभोक्ता राज्य है। देश के विभिन्न प्रान्तों से आने वाले माल की यहां खपत खूब होती है।
अघोषित माल को खपाने में यूपी अव्वल
जबकि टैक्स में यही सिद्धांत है कि जिस राज्य में माल की खबत होगी, टैक्स वहीं की सरकार को मिलेगा। टैक्स माफियाओं ने दिल्ली, कोलकत्ता, असम व अन्य राज्य के अघोषित माल को खपाने के लिए यूपी को अपना अड्डा बना लिया।
कई बड़ी ट्रांसपोर्ट कम्पनी टैक्सचोरी का माल यूपी के किसी भी शहर में सुरक्षित पहुंचाने के लिए ठेका लेती हैं। इसमें से कई कम्पनियों को वाणिज्यकर मुख्यालय ने अपनी काली सूची में भी शामिल किया है।
GST के बाद भी नहीं आया बदलाव
टैक्स माफिया रेलवे से किराए पर बोगी ले लेते हैं इसके बाद वे रनिग लीज बनाकर माल भरते हैं। हालाकि GST लगने के बाद रेलवे की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वो माल बुक करवाते समय माल के दस्तावेज चेक करें, लेकिन ऐसा नहीं होता। अगर ऐसा होता तो करीब एक साल पहले लखनऊ में रेलवे की 13 बोगियों में रखाकर लाया जा रहा टैक्सचोरी का माल न पकड़ा जाता।
गोरखपुर बन गया है हब
इस समय पूर्वाचल का गोरखपुर टैक्स चोरी का माल लाने के हब के रूप में विकसित हो चुका है। पिछले सप्ताह कोलकात्ता से आयी एक गाड़ी की तीन बोगियों में रखा माल सुरक्षित स्टेशन से बाहर निकल गया, जिस पर राज्य सरकार को एक भी पैसा टैक्स नहीं मिला।
टैक्स माफिया ऐसा इसलिए कर पाने में सफल रहे क्योंकि वहां पर खुद जियो औरों को भी जीने दो की भावना के साथ टैक्स माफिया काम करते हैं।