- लॉकडाउन की वजह से केन्या के पास टिड्डियों को मारने के लिए कीटनाशक नहीं
- केन्या की वजह से टिड्डियों का दूसरा हमला भी लगभग तय
- राजस्थान में ही टिड्डी दलों के हमले से 8,000 करोड़ रुपए की फसल के नुकसान का अनुमान
न्यूज डेस्क
कोरोना महामारी और तालाबंदी के बाद किसानों के सामने अब एक दूसरा संकट उत्पन्न हो गया है। किसानों के सामने जो संकट उत्पन्न हुआ है उसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। जी हां, हम बात कर रहे हैं टिड्डी दलों के हमले की।
टिड्डी दलों के हमले के कारण जहां राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर फसल का नुकसान हुआ है, वहीं अब अधिकारी एक दूसरे ही संकट की आशंका जता रहे हैं।
संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (एफएओ) ने भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान के वर्तमान हालात को लेकर मंगलवार 26 मई को एक बैठक की। बैठक में कहा गया कि अभी टिड्डी दलों का हमला जारी रहेगा, बल्कि यह भी आशंका जताई गई कि हो सकता है कि जिन इलाकों में टिड्डियों ने हमला किया है, उन इलाके के किसान मॉनसून के दौरान बोई जाने वाली फसल (खरीफ) की बुआई नहीं करेंगे।
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जाहिर है यह चिंता बढ़ाने वाला अनुमान है। सिर्फ राजस्थान में ही टिड्डी दलों के हमले से अब तक यहां 8,000 करोड़ रुपए की फसल के नुकसान का अनुमान लगाया है। वहीं मध्य प्रदेश के कई जिलों में टिड्डियों ने फसल को नुकसान पहुंचाया है।
उत्तर प्रदेश सरकार भी टिड्डी दलों के हमले को लेकर सर्तक हो गई है। सरकार ने इस हमले से नुकसान से सचेत रहने को कह रही है।
इन दिनों खेतों में जो फसलें हैं, ये सर्दी की फसलें हैं और किसान इन्हें बेचकर नगदी अर्जित करता है। और इस फसल से होने वाले फायदे को खरीफ की फसल पर निवेश करता है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में टिड्डी दलों का हमला बड़ा है और इस हमले को अभूतपूर्व बताया जा रहा है।
एफएओ की बैठक में शामिल एक अधिकारी ने बताया कि अब खतरा यह है कि अगर टिड्डी द्वारा वर्तमान हमला जारी रहता है, तो किसान डर के मारे अगली फसल नहीं लगाएंगे।
उधर, भारत के लिए एक और परेशानी है। ऐसा माना जा रहा है कि भारत को केन्या से आने वाले टिड्डी दलों के कारण दूसरा बड़ा हमला झेलना पड़ सकता है। आमतौर पर, जून के मध्य में केन्या से टिड्डियां चलती हैं और पाकिस्तान और ईरान से होते हुए भारत पहुंचती हैं। फिलहाल अभी जो हालात हैं वह चिंता बढ़ाने वाले हैं।
पाकिस्तान में टिड्डियों का दल भारत में प्रवेश कर चुका है। टिड्डियों के दल जयपुर से दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। लाखों-करोड़ों टिड्डियों के झुंड ने पिंक सिटी जयपुर पर सोमवार सुबह-सुबह टूट पड़े थे। अगर हवा की गति उनके अनुकूल रही तो उन्हें दिल्ली पहुंचने में देर नहीं होगी।
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को अलर्ट पर रखा गया है, क्योंकि टिड्डियों के दल अभी गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सक्रिय हैं। ये राज्य इस मुसीबत से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
ऐसे में यदि यही प्रक्रिया जारी रही तो जून में भारत में टिड्डी दलों का दूसरा हमला हो सकता है। दरअसल लॉकडाउन की वजह से केन्या टिड्डियों को रोकने का इंतजाम नहीं कर पाया।
एफएओ अधिकारी का कहना है कि यदि हम पूरी कोशिश के बाद राजस्थान-मध्य प्रदेश में वर्तमान टिड्डी हमले को रोक भी देते हैं, तब भी किसानों को कोई खास फायदा नहीं होगा, क्योंकि केन्या की वजह से टिड्डियों का दूसरा हमला भी लगभग तय है।
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एफएओ की बैठक से संकेत मिलता है, टिड्डियों की वजह से या तो किसान मानसून या खरीफ की फसलों की बुआई नहीं करेंगे। या फिर उन्हें देर से बुआई करनी पड़ेगी।
टिड्डियों के हमले की वजह तालाबंदी बतायी जा रही है। तालबंदी की वजह से केन्या टिड्डियों को मारने के लिए कीटनाशकों की कमी से जूझ रहा है। तालाबंदी के कारण कीटनाशक के आयात की प्रक्रिया में देरी हुई।
दिलचस्प बात यह है कि भारत केन्या को टिड्डियों के हमलों को नियंत्रित करने के लिए कीटनाशक और अन्य रसायन उपलब्ध करा रहा है। लेकिन केन्या के लिए शिपमेंट अगले कुछ दिनों में ही शुरू हो पाएगी और इसे केन्या पहुंचने में और समय लग सकता है।
अप्रैल के उत्तरार्ध में केन्याई सरकार ने वजीर, सम्बुरु और मार्सबिट काउंटियों में बड़े पैमाने पर छिड़काव अभियान शुरू किया, जहां टिड्डियों ने अपने अंडे दिए थे, जो अब बड़े हो चुके हैं, क्योंकि बाद में लॉकडाउन की वजह से यह काम रोक दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केन्या के कृषि विभाग के प्रधान सचिव हमादी बोगा ने कहा था कि टिड्डियों को रोकने के इंतजामों में कोई कोताही नहीं बरती गई है, क्योंकि लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं को नहीं रोका गया।
पाक से आ रहा टिड्डियों का दल दिल्ली की ओर बढ़ा
टिड्डियों के दल जयपुर से दिल्ली की ओर बढ़ रहे हैं। इसको देखते हुए राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को अलर्ट पर रखा गया है, क्योंकि टिड्डियों के दल अभी गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में सक्रिय हैं। ये राज्य इस मुसीबत से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
आम तौर पर रेगिस्तानी टिड्डे जून से नवंबर तक पश्चिमी राजस्थान और गुजरात में दिखते हैं, लेकिन इस बार वे अप्रैल में ही दिखने लगे। तब केंद्रीय कृषि मंत्रालय के टिड्डी चेतावनी संगठन यानी लोकस्ट वॉर्निंग ऑर्गनाइजेशन ने इनकी मौजूदगी के बारे में बताया था। जो चीज और ज्यादा चिंता बढ़ा रही है वह यह है कि आम तौर पर ये टिड्डियां या तो अकेले रहती हैं या फिर छोटे-छोटे समूहों में रहती है। इसका मतलब है कि इनका इस तरह विशाल झुंड में होना असामान्य है।
कीटविज्ञान विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली भले ही शहरी इलाका है लेकिन यहां भी टिड्डियों का गंभीर और व्यापक असर दिख सकता है क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी का 22 प्रतिशत इलाका ग्रीन कवर में है। ये ग्रीन कवर टिड्डियों के लिए खुराक का काम करेंगे।
एक दिन में 35000 लोगों के बराबर खाना खा सकता है टिड्डियों का छोटा दल
यमुना बायोडायर्वस्टी पार्क के कीट विज्ञानी मोहम्मद फैसल के मुताबिक, ‘दिल्ली के हरित इलाकों (ग्रीन एरिया) पर बहुत बुरा असर पड़ सकता है। एक वर्ग किलोमीटर में फैला टिड्डियों का एक छोटा सा दल भी एक दिन में करीब 35 हजार लोगों के खाने के बराबर हरियाली को चट कर सकता है।
फैसल के मुताबिक अतीत में इन टिड्डियों की वजह से वॉटर सप्लाई और रेलवे लाइनें भी प्रभावित हो चुकी हैं। उनके हमले के बाद रेलवे ट्रैकों पर चिकनाई और फिसलन बढ़ गई जिसके बाद उन्हें साफ करना पड़ा। उन्होंने बताया कि एक अकेली टिड्डी 500 तक अंडे देती है लिहाजा हमें न सिर्फ टिड्डियों के दलों को रोकना होगा बल्कि उनकी ब्रीडिंग को भी।