न्यूज डेस्क
भारत में कोरोना वायरस के संक्रमित मरीजों के आंकड़े में तेजी से इजाफा हो रहा है। कोरोना महामारी को रोकने का सारा दरोमदार केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकारों पर है। जहां कुछ राज्यों में सरकार के कामकाज की तारीफ हो रही है तो वहीं कुछ राज्यों में सरकार के प्रयास की आलोचना हो रही है, लेकिन यह आलोचना सरकार को रास नहीं आ रही।
मणिपुर में ऐसा ही मामला सामने आया है। यहां के कुछ लोगों को कोरोना से निपटने में सरकार के प्रयास की आलोचना करना भारी पड़ गया।
आधिकारिक रिकॉर्ड के मुताबिक जिन लोगों ने सरकार के काम की आलोचना की थी उनके खिलाफ पुलिस ने आपदा प्रबंधन अधिनियम और भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्यवाही की है। अकेले इंफाल के पश्चिमी इलाके से 10 से अधिक लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से तीन राजद्रोह से संबंधित हैं।
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अप्रैल के पहले सप्ताह में डीएमए के तहत बुक किए गए लोगों में से एक नाम युमनाम देवजीत का भी था। देवजीत का एक वॉयस मैसेज सामने आया था जिसमें वे प्रधानमंत्री की लोगों से अपने घरों में दिये और मोमबत्ती जलाने वाली अपील को ना मनाने का आग्रह कर रहे थे। इसके कुछ दिनों बाद, देवजीत के पिता और मणिपुर के उपमुख्यमंत्री युनाम जॉयकुमार से सभी पोर्टफोलियो छीन लिए गए।
द इंडियन एक्सप्रेस को इंफाल पश्चिम के पुलिस अधीक्षक के मेघचंद्र ने बताया कि देवजीत के खिलाफ मामला “गलत सूचना फैलाने” को लेकर दर्ज किया गया था। मेघचंद्र ने कहा कि उनके पोस्ट लोगों में दहशत पैदा कर सकती है। उनके ऊपर धारा 41/48 के तहत कार्यवाही की गई है।
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मेघचंद्र ने आगे कहा “हमें आलोचना से कोई समस्या नहीं है लेकिन अगर टिप्पणियों और राय में सांप्रदायिक घृणा भड़काने या जनता को गुमराह करने की क्षमता है, तो जाहिर है कि यह एक अच्छा संकेत नहीं है। ऐसे मामलों से निपटने के दौरान हम बहुत ही चुनिंदा होते हैं। पुलिस विभाग लोगों को बेतरतीब ढंग से नहीं उठाता है। हम बिना उचित कारण के किसी को भी बुक नहीं करते हैं।”
इम्फाल में यूथ फोरम फॉर प्रोटेक्शन ऑफ ह्यूमन राइट्स के दो एक्टिविस्ट्स -तखेनचंगबम शशिकांत और खंजरकपम फेजटन को आईपीसी की धारा डीएएम और सेक्शन 120 (बी) के तहत चार्ज किया गया था। संगठन ने प्रेस नोट जारी कर सरकार द्वारा प्रस्तावित क्वारंटाइन सुविधा पर सवाल उठाए थे।
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