जुबिली पोस्ट ब्यूरो
नई दिल्ली। हिमाचल की राजधानी और प्रसिद्ध पर्यटन स्थल शिमला में आतंक का पर्याय बने बंदरों को मारने की केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने अनुमति दे दी है। मंत्रालय ने हिमाचल प्रदेश में बंदरों को एक साल के लिए ‘विनाशक’ घोषित किया है।
शिमला के स्थानीय अधिकारियों को इस हिंसक जानवर को गैर-वन वाले इलाकों में मारने के लिए एक साल का समय दिया गया है। हालांकि पर्यावरण मंत्रालय के इस फैसले खिलाफ पशु प्रेमी खड़े हो गए हैं और उन्होंने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है।
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तो क्या हसीन वादियों में होंगे जानवरों के कत्ल, शिमला में बंदरों को मारने की केंद्र सरकार ने दी अनुमति
राज्य सरकार के अनुरोध के बाद केंद्र सरकार ने यह अधिसूचना पिछले हफ्ते जारी की है। राज्य सरकार ने केंद्र को रिपोर्ट भेजी थी कि किस तरह जंगलों के बाहर रीसस मकाक प्रजाति के बंदर बहुत बढ़ गए हैं और वे बड़े पैमाने पर कृषि के साथ ही लोगों के जीवन और संपत्ति के लिए संकट बन रहे हैं।
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हालांकि रीसस मकाक बंदर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की अनुसूची के तहत संरक्षित प्रजाति है लेकिन खतरा होने पर कानून इन्हें एक साल के लिए हिंसक घोषित करके इनका शिकार करने की अनुमति देता है। प्रदेश सरकार ने अपने आग्रह में कहा था कि ये बंदर शिमला शहरी क्षेत्र के लोगों की जानमाल के लिए खतरा बन गए हैं।
बंदरों के आतंक के चलते लोगों को चलना फिरना और रहना मुश्किल हो गया है। बंदर बड़े पैमाने पर फसलों और संपत्ति को भी भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस पर केंद्रीय मंत्रालय ने कहा कि बंदरों की स्थानीय संख्या को नियंत्रण में लाना जरूरी है ताकि इनकी वजह से मनुष्य, फसलों और संपत्ति को होने वाले नुकसान को रोका जा सके।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 62 के तहत लघु पुच्छ प्रजाति के बंदरों को अति हिंसक घोषित किया गया है और शेड्यूल 5 के तहत 1 साल के लिए इन्हें मारने की छूट दी गई है। यह अध्यादेश शिमला नगर निगम क्षेत्र में ही लागू होगा। इसे जंगल के इलाके में लागू नहीं किया गया है।