जुबिली न्यूज डेस्क
साल 2014 में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार का सबसे ज्यादा जोर निजीकरण पर रहा है। इन छह सालों में मोदी सरकार ने देश की कई बड़ी-बड़ी सरकारी संस्थाओं को निजी हाथों में सौंप दिया। हालांकि इसका एक तबके ने जोरदार विरोध भी किया, बावजूद मोदी सरकार निजीकरण करने से पीछे नहीं हट रही है।
पिछले काफी दिनों से देश की सबसे बड़ी और सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी के निजीकरण की खबर चर्चा में है। फिलहाल केंद्र सरकार एलआईसी में 25 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में है जिसके लिए सरकार कानून बदलने की सोच रही है।
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सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार इसके लिए उस एक्ट को बदलने की योजना बना रही है, जिसके तहत एलआईसी की स्थापना की गई थी। पहले मोदी सरकार ने एलआईसी की 10 प्रतिशत हिस्सेदारी ही बेचने का फैसला लिया था, लेकिन अब 25 प्रतिशत का आईपीओ लाने पर विचार किया जा रहा है।
हालांकि यह आईपीओ एकमुश्त नहीं आएगा और कई टुकड़ों में सरकार यह हिस्सेदारी बेचेगी। सूत्रों के अनुसार एलआईसी के आईपीओ की टाइमिंग बाजार के हालात पर निर्भर करेगी। हालांकि सरकार की ओर से इस मामले में अब तक आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया है।
सरकार का ऐसा मानना है कि एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने से उसे कोरोना काल में आर्थिक संकट से निपटने में मदद मिलेगी और बजट घाटा कम किया जा सकेगा।
सरकार ने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए फिस्कल डेफिसिट का टारगेट जीडीपी के 3.5 पर्सेंट रखा है, लेकिन यह लक्ष्य पूरा होता नहीं दिख रहा है। यही नहीं विनिवेश और सरकारी संपत्तियों को बेचने का भी सरकार ने 2.1 लाख करोड़ रुपये का जो लक्ष्य रखा है, वह भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। अब तक सरकार 5,700 करोड़ रुपये की ही एसेट्स की बिक्री कर पाई है।
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बीते महीने ब्लूमबर्ग ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि सरकार डेलॉयटे और एसबीआई कैपिटल को एलआईसी का आईपीओ लाने की तैयारी का काम सौंपा है।
ये दोनों कंपनियां यह बताएंगी कि आखिर एलआईसी की वैल्यूएशन क्या है और उसके मुताबिक आईपीओ लाने में मदद करेंगी। सूत्रों के मुताबिक एसेट्स सेल को लेकर गठित मंत्रियों का पैनल आईपीओ के साइज पर फैसला लेगा। इसके अलावा कैबिनेट एलआईसी के कैपिटल स्ट्रक्चर में बदलाव को लेकर फैसला लेगी।
सरकार पहले चरण में 10 फीसदी हिस्सेदारी ही बेचेगी। उसके बाद अन्य हिस्सेदारी को कई राउंड में बेचने की योजना है। सूत्रों का कहना है कि एलआईसी की हिस्सेदारी बेचने में रिटेल इन्वेस्टर्स को प्राथमिकता दी जा सकती है और इसके लिए उन्हें 10 पर्सेंट का डिस्काउंट दिया जा सकता है। यह डिस्काउंट एलआईसी में काम करने वाले कर्मचारियों को भी मिलेगा।
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