Wednesday - 30 October 2024 - 9:13 PM

56 साल की जंग के बाद शहीद की विधवा से हार गई सरकार

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली. देश के दफ्तरों में बाबू राज इस हद तक कायम है कि नाइंसाफी किसी के साथ भी हो सकती है. देश की सीमा पर अपनी जान कुर्बान करने वाले सैनिकों की विधवाओं के साथ भी नाइंसाफी हो जाना बहुत आम बात है. नाइंसाफी के बाद सरकारी दफ्तरों में इस टेबल से उस टेबल तक घूमते-घूमते ही न जाने कितने लोगों की जान चली जाती है मगर उन्हें इन्साफ नहीं मिल पाता. मगर भारत-चीन युद्ध में शहीद हुए एक सैनिक की पत्नी ने 56 साल की कानूनी लड़ाई के बाद इन्साफ हासिल कर लिया है.

भारत और चीन के बीच 1962 में जंग हुई थी. इस जंग में शहीद हुए सैनिकों की पत्नियों को असाधारण पेंशन देने का फैसला हुआ था. असाधारण पेंशन मतलब पति को मिलने वाला पूरा वेतन.

प्रताप सिंह सीआरपीएफ की नवीं बटालियन में तैनात थे और चीन के साथ हो रही जंग में शहीद हुए थे. उनकी पत्नी धर्मो देवी को असाधारण पेंशन मिलना भी शुरू हो गई थी मगर चार साल के बाद बगैर कारण बताये इसे बंद कर दिया गया. धर्मो देवी ने इन्साफ हासिल करने के लिए सरकारी दफ्तरों के खूब चक्कर लगाए और थक हारकर उन्होंने अदालत का दरवाज़ा खटखटाया. धर्मो देवी के वकील ने अदालत से कहा कि किसी भी सरकारी कर्मचारी की मौत या फिर विकलांगता अगर उसकी सरकारी नौकरी की वजह से होती है तो ऐसे कर्मचारी के परिवार को असाधारण पेंशन दी जाती है.

56 साल लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी की पीठ ने केन्द्र सरकार को आदेश दिया है कि शहीद की विधवा को 1966 से लेकर 2022 तक पेंशन का पूरा भुगतान किया जाए. इसके साथ ही इन 56 सालों का छह फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज भी दिया जाए.

यह भी पढ़ें : उज्जैन के जेल अधिकारियों ने किया कैदी का अपराधिक इस्तेमाल

यह भी पढ़ें : साइबर अपराधियों ने बच्चे के हाथ बेच दिए लाखों के हथियार

यह भी पढ़ें : बीटेक करने के बाद उसने छेड़ दिया साइबर अपराधियों के खिलाफ अभियान

यह भी पढ़ें : डंके की चोट पर : पुलकित मिश्रा न संत है न प्रधानमन्त्री का गुरू यह फ्राड है सिर्फ फ्राड

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com