न्यूज डेस्क
गायों को लेकर सरकार जितनी संजीदा हैं, उतनी ही लापरवाह भी। सरकार गायों की सुरक्षा को लेकर तो सख्त है लेकिन उसकी देखभाल को लेकर लापरवाह है। लापरवाही का आलम यह है कि गोशाला में कहीं गायें भूख से दम तोड़ रही हैं तो कभी भीगने की वजह से। इधर के कुछ महीने में कई राज्यों से गायों के मरने की खबरें आई हैं।
ताजातरीन मामला त्रिपुरा का है। बीएसएफ ने बांग्लादेश में तस्करी की जा रहीं कम से कम 45 जिन गायों को जब्त किया था, उन सभी की मौत एक एनजीओ की गोशाला में देखरेख की कमी से हो गई। इसकी जानकारी अधिकारियों ने दी।
सिपाहीजाला जिले में देवीपुर की गोशाला के प्रभारी ने बताया कि गायों की मौत ‘हाइपरथर्मिया’ की वजह से हो गई क्योंकि जगह की कमी से उन्हें खुले में रखा गया था और पिछले छह दिन से बारिश हो रही थी। इन गायों की मौत रविवार से अब तक तीन दिन के बीच में हुई है।
उन्होंने बताया कि पिछले साल 14 मई से अब तक सिपाहीजाला जिले की गोशाला में 159 गायों की मौत हो चुकी है।
गोशाला की प्रभारी जोशीन एंटनी ने बताया कि गोशाला में कम से कम 700 गाय हैं। पिछले तीन दिन में ‘गोशाला’ में 45 गायों की मौत हुई है क्योंकि वह खुले में थीं और बारिश में भीग रही थीं।
एनजीओ ने किया था गोशाला का निर्माण
इस गोशाला का निर्माण 14 मई 2018 को दिल्ली के एक गैर सरकारी संगठन ने किया था, जिसका समझौता त्रिपुरा सरकार के साथ हुआ था। इस समझौते के तहत बीएसएफ द्वारा मवेशी तस्करों से बचाए गए मवेशियों को यहां रखना तय था।
एंटनी ने बताया, ‘पिछले तीन महीने में बीएसएफ ने सीमा चौकियों पर जो मवेशी जब्त किए, उन्हें यहां भेज दिया गया। यह एक आपात स्थिति थी क्योंकि सीमा चौकियों पर मवेशियों की मौतें हो रही है और बीएसएफ उनका ध्यान रखने में असमर्थ है।’
उन्होंने दावा किया, ‘हम गायों की जिम्मेदारी लेते हैं, लेकिन राज्य सरकार की तरफ से हमें कोई सहायता नहीं मिली है।’
वहीं राज्य के पशु संसाधन विकास विभाग के निदेशक डॉक्टर दिलीप कुमार चकमा ने बताया कि एनजीओ ने पिछले दो-तीन महीने से काम शुरू किया है।
उन्होंने कहा कि विभाग ने उन्हें अस्थायी इस्तेमाल के लिए चार एकड़ जमीन भी दी और उन्हें पता चला है कि कुछ मवेशियों की मौत भूखे रहने की वजह से हो गई। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में राज्य में सिर्फ एक गोशाला है।