जुबिली न्यूज डेस्क
चुनावों में अक्सर फर्जी वोटिंग की खबरें आती है। अब फर्जी मतदान रोकने के लिए केंद्र सरकार आधार कार्ड नंबर को वोटिंग लिस्ट और Voter ID कार्ड से जोडऩे की तैयारी में है।
केंद्र सरकार फर्जी मतदान और एक ही व्यक्ति के एक से ज्यादा जगहों पर मतदाता सूची में रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए ये कदम उठाने जा रही है।
ऐसी संभावना जताई जा रही है अगले साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद इसका ऐलान किया जा सकता है।
यह भी पढ़े : कश्मीर में बीजेपी नेता के घर पर आतंकी हमला, 2 साल के मासूम की मौत
यह भी पढ़े : अच्छी खबर : अब जांच के समय ही पता चल जायेगा कि कितना गंभीर है कोरोना संक्रमण
सूत्रों के मुताबिक केंद्र सरकार इसके लिए तैयार है लेकिन पहले उसे कानूनों में कुछ संशोधन करने होंगे, साथ ही डाटा सुरक्षा का फ्रेमवर्क तैयार करना होगा।
केेद्र सरकार के लिए यह कदम आसान नहीं होगा। इसमें कानूनी अड़चन भी पैदा हो सकती है, लिहाजा सरकार इसकी कवायद में पांच राज्यों के चुनाव संपन्न होने के बाद जुटेगी।
दरअसल मतदाता सूची को आधार नंबर से जोडऩे के लिए केंद्र सरकार को जन प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act) के साथ-साथ आधार अधिनियम ( Aadhaar Act) में संशोधन करना होगा, क्योंकि साल 2015 में उच्चतम न्यायालय ने आधार अधिनियम की वैधता पर अपने फैसले में कहा था कि 12 अंकों की आईडी का इस्तेमाल केवल सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का फायदा लेने और अन्य सुविधाओं के लिए किया जाएगा।
यह भी पढ़े : राहुल का आरोप, पहली बार राज्यसभा में सांसदों की हुई पिटाई
यह भी पढ़े : यूपी के डिप्टी सीएम पर लगा फर्जी डिग्री का आरोप, जांच के आदेश
यह भी पढ़े : सिब्बल के बाद अब विपक्षी नेताओं को सोनिया खिलाएंगी खाना
अदालत ने कहा था कि अगर सरकार मतदाता सूची को आधार इकोसिस्टम से जोडऩा चाहती है तो उसे इसके लिए कानूनी मदद लेनी होगी।
शीर्ष अदालत ने साल 2019 में गोपनीयता को मौलिक अधिकार घोषित करते हुए सरकार से डेटा सुरक्षा के लिए कानून बनाने के लिए कहा था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने डाटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया है। इस पर फिलहाल संसदीय समिति विचार कर रही है।
यह भी पढ़े : बिहार : बाढ़ से मचा हाहाकार, बक्सर से कहलगांव तक दिख रहा गंगा का विकराल रूप
यह भी पढ़े : दो महीने गुज़र गए मगर लोहिया अस्पताल के इन कर्मचारियों को वेतन नहीं मिला क्योंकि…
जानकारों का मानना है कि मतदाता सूंची को आधार इकोसिस्टम डायरेक्ट नहीं जोड़ा जाएगा बल्कि इसके वेरिफिकेशन के लिए OTP सिस्टम का इस्तेमाल किया जाएगा। ऐसा करने से दोनों डाटा का मिलान नहीं होगा और न ही वोटर सिस्टम को टैप किया जाएगा।
सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम का बड़े पैमाने पर टेस्ट किया जाएगा, सभी पहलुओं पर खरा उतरने के बाद ही लिंकिंग की कार्वाई का आगाज किया जाएगा।
मालूम हो कि साल 2015 में शीर्ष अदालत के फैसले के आने से पहले तक चुनाव आयोग बड़ी संख्या में वोटर आईडी को आधार से लिंक कर चुका था। अदालत के आदेश के बाद इस कार्यक्रम को रोक दिया गया था।