राजेंद्र कुमार
लखनऊ.उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में दस लाख करोड़ रुपए का औद्योगिक निवेश लाने की मुहिम में जुटी है, वही दूसरी तरफ प्रदेश में करीब 11 हजार करोड़ रुपए का मुर्गी पालन और अंडा कारोबार का उद्योग बर्बाद हो रहा है.
इस उद्योग से जुड़े करीब 15 लाख लोग सरकार के इस कारोबार को बचाने की गुहार लगा रहे हैं. इन लोगों की मांग है कि राज्य में अंडे का मूल्य निर्धारण के लिए सरकार की संस्था बने और कोल्ड स्टोरेज में महीनों से रखे अंडे की बिक्री पर रोक लगाई जाए.
यूपी कुक्कुट विकास समिति ने मुर्गी पालन और अंडा कारोबार से जुड़े लोगों की इस मांग को सरकार के समक्ष रखा है. परन्तु सूबे की सरकार अभी तक इस कारोबार को बचाने की पहल नहीं की है, जबकि बीते छह माह में करीब 45 प्रतिशत मुर्गी फार्म बंद हो गए हैं.
यूपी में मुर्गी पालन और अंडे का कारोबार हर जिले में फैला है. राज्य में करीब तीन हजार मुर्गी पालन फार्म हैं. इनमें करीबी 700 मुर्गी पालन फ़ार्म सरकारी और 2200 गैर सरकारी हैं. करीब डेढ़ लाख लोग इस कारोबार जुड़े हैं.
जबकि अंडा कारोबार में 14 लाख से अधिक लोग जुड़े हैं. यूपी कुक्कुट विकास समिति के अध्यक्ष वीपी सिंह के अनुसार राज्य में मुर्गी पालन और अंडा कारोबार का उद्योग करीब 11 हजार करोड़ रुपए का है. ये उद्योग अब यूपी में प्रति दिन तीन करोड़ अंडे उपलब्ध कराता हैं. इतने अंडे की ही प्रतिदिन यूपी में खपत है.
फिर यह उद्योग संकट में क्यों है? वीपी सिंह के अनुसार इसकी वजह अंडे के रेट तय करने का सिस्टम हैं. देश और प्रदेश में अंडे का रेट तय करने की कार्य नेशनल एग कोआर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) द्वारा किया जाता है. वीपी सिंह का कहना है कि अंडे के लागत मूल्य से कम मूल्य पर अंडे का रेट तय किया जा रहा है.
. इस वजह से मुर्गी पालन के कारोबार में लगे लोगों को घाटा हो रहा है और यूपी में छह माह के भीतर 45 प्रतिशत मुर्गी पालन फार्म बंद हो गए. वही दूसरी तरफ बड़े अंडा व्यपारी अंडे का दम कम होने पर उसे किसानों से सस्ते मूल्य पर खरीद कर उसे कोल्ड स्टोरेज में रख रहे हैं. फिर अंडे का दम बढ़ते ही उसे अंडा बिक्री करने वाले दुकानदारों को तय कीमत से कम पर बेच देते हैं.
इस दुष्चक्र का खामियाज सूबे के मुर्गी पालक और अंडा करोबार से जुड़े लोगों को उठाना पड़ रहा है. जिसके चलते ही इस सिस्टम के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए प्रदेश भर में मुर्गी पालन फ़ार्म चला रहे उद्यमी और अंडा कारोबारी धरना दे रहे हैं. परन्तु उनकी मांग पर सरकार ने कोई फैसला नहीं लिया हैं.
कार्रवाई के नाम पर अभी अधिकारी अंडा कारोबारियों के साथ मिलकर महीनों से कोल्ड स्टोरेज में रखे अंडों की बरामद करने का अभियान चला रहे हैं, ताकि राज्य के लोगों को ताजा अंडा खाने को मिले.