एबीपी न्यूज के अनुसार देश में ऑक्सीजन की कमी, वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार समेत अन्य कई मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में पिछले कई दिनों से सुनवाई चल रही है. अब इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में हलफनामा दायर कर अति उत्साह में फैसले ना लेने की सलाह दे डाली है.
जुबिली स्पेशल डेस्क
नई दिल्ली। पूरे देश में कोरोना के मामले कम होन का नाम नहीं ले रहे हैं। जानकारी के मुताबिक देश में पिछले 24 घंटे में तीन लाख 66 हज़ार 161 कोरोना के नये केस सामने आये है।
इसके साथ ही तीन हज़ार 754 की जान भी चली गई है जबकि संक्रमण के कुल मामले बढक़र दो करोड़ 27 लाख तक पहुंच गई है। उधर कोरोना को लेकर सुप्रीम कोर्ट काफी सख्त नजर आ रहा है।
बीते कुछ दिनों से ऑक्सीजन की कमी को लेकर काफी घमासान देखने को मिल चुका है। लोग ऑक्सीजन और बेड की कमी की वजह से दम तोड़ रहे हैं तो दूसरी ओर सुप्रीम कोर्ट मौजूदा स्थिति पर लगातार अपनी पैनी नजर बनाये हुआ है।
दरअसल देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते ऑक्सीजन की कमी, वैक्सीनेशन की सुस्त रफ्तार समेत अन्य मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट में हर दिन सुनवाई हो रही है।
अब केंद्र सरकार ने इन सब मुद्दों पर एक सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर अति उत्साह में फैसले ना लेने की सलाह भी दे डाली है।
सरकार ने इस हलफनामा में अस्पतालों में बेड के इंतजाम से लेकर देश में ऑक्सीजन की सप्लाई और दवाओं की उपलब्धता तक अलग-अलग मुद्दों पर कोर्ट को जानकारी दी है।
इतना ही नहीं इसमें केंद्र की टीकाकरण नीति में न्यायिक हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है। सुनवाई से पहले रविवार शाम 218 पेज के हलफनामे में केंद्र सरकार ने कोर्ट के सभी सवालों के एक-एक कर जवाब दिए हैं।
केंद्र सरकार ने इस हलफनामे में अपनी वैक्सीनेशन नीति का बचाव किया है और कहा है कि इसमें कोर्ट के हस्तक्षेप की कोई जरूरत नहीं है।
केंद्र सरकार ने कहा महामारी के चलते सभी को एक बार में टीका नहीं दिया जा सकता, ऐसे में वैक्सीन की सीमित उपलब्धता है, सबको समान रूप से टीका कैसे दिया जाए, इन सब चीजों पर विचार करके ही यह नीति बनाई गई थी. यह नीति न्यायसंगत है और किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं किया गया है।