न्यूज डेस्क
पाकिस्तान के मुद्दे पर प्रधानमंत्री मोदी अक्सर कहते हैं, यह नया भारत है। अब अगर किसी ने हिमाकत की, तो हम घर में घुसकर मारेंगे। हमारा सिद्धांत है हम घर में घुसकर मारेंगे। मोदी जी का कहना सौ फीसदी सही है, हिमाकत करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए, लेकिन जो अपने घर यानी देश के भीतर दरिंदगी कर रहे हैं उनको कौन मारेगा?
देश में मासूम बच्चियों के साथ लगातार बलात्कार की घटनाएं हो रही है। छह माह की बच्ची हो या 11 साल की, सुरक्षित नहीं हैं। दूर जाने की जरूरत नहीं है। अलीगढ़ की ट्विकंल किसको याद नहीं। घाटी की आशिफा के साथ की गई हैवानियत तो रोंगटे खड़ी करने वाली थी। निर्भया मामले ने तो पूरी मानवता को शर्मसार कर दिया था।
आंकड़ों के मुताबिक भारत में 1994 और 2016 के बीच बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़कर चार गुना हो गई हैं। बच्चियों पर काम करने वाले छह संगठनों की एक नई संयुक्त रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
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इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला दिया गया है, जो बताता है कि 1994 में बच्चियों के साथ बलात्कार की 3,986 घटनाएं सामने आईं, जो 2016 में 4.2 गुणा बढ़कर 16,863 हो गईं।
‘भारत में बाल अधिकार- अधूरा एजेंडा’ नामक इस रिपोर्ट में कुपोषण, बच्चों के विरूद्ध अपराध और शिक्षा समेत कई मुद्दों की चर्चा है।
उसमें बाल अधिकार के चार ऐसे अवयवों की पहचान की गई है जिन पर कम ध्यान दिया गया है।
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ये अवयव यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य, खेलकूद, मनोरंजन और सुविधाओं तक पहुंच, परिवार एवं समुदाय आधारित सुरक्षा प्रणाली और परिवार एवं समुदाय स्तर पर निर्णय लेने की प्रक्रिया में उसकी भागीदारी हैं।
क्या है वजह
रिपोर्ट कहती है कि घटते लिंगानुपात और बलात्कार की घटनाओं में वृद्धि दो ऐसे संकेतक हैं जो लड़कियों के अपराध का शिकार होने की आशंका में बढ़ोत्तरी को दर्शाते हैं।
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खासकर ग्रामीण क्षेत्र की लड़कियां मानती हैं कि सुरक्षा की चिंता की वजह से वे ज्यादा इधर-उधर जा नहीं पातीं और इससे उनका आर्थिक एवं सामाजिक विकास अवरूद्ध होता है।
घर में सिमटने को मजबूर हुई लड़किया
जिस तरह से देश में महिला-बच्चियों के साथ अपराध का ग्राफ बढ़ा है उससे बच्चियों घरों में सिमटने को मजबूर हो गई हैं। रिपोर्ट में भी इस बात को कहा गया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, ‘सभी राज्यों में लड़कियों ने कहा कि सुरक्षा की चिंताओं की वजह से उनकी गतिशीलता से बहुत समझौता हुआ जबकि लड़कों के साथ ऐसा नहीं है।’
एनसीआरबी की ‘भारत में अपराध, 2016’ रिपोर्ट के अनुसार भारत में 2016 में बच्चों के विरूद्ध 106,958 अपराध हुए। उनमें से ज्यादातर अपराध अपहरण (52.3 फीसद) और बलात्कार समेत यौन अपराध (34.4फीसद) थे।