मल्लिका दूबे
गोरखपुर। यहां संसदीय चुनाव तो भोजपुरी फिल्म स्टार रवि किशन शुक्ला लड़ रहे हैं लेकिन प्रतिष्ठा दांव पर यूपी के सीएम की लगी है। अपने गृह संसदीय क्षेत्र में खुद लड़कर पांच चुनाव तक अपराजेय रहे योगी आदित्यनाथ को गोरखपुर में उप चुनाव में मिली हार का जख्म लगातार टीस रहा है। चुनावी जंग में ‘रवि’ को ‘आदित्य’ बनाने के लिए वह हर दांव आजमा रहे हैं। रवि किशन को उसी पैटर्न पर चुनाव लड़ाने की योजना बनाकर रणनीतिक तैयारी हो रही है जैसे आदित्यनाथ खुद लड़ा करते थे।
अपने चुनाव की तरह रणनीति बना रहे योगी
गोरखपुर संसदीय क्षेत्र में बीजेपी प्रत्याशी की सफलता के लिए योगी आदित्यनाथ इन दिनों अपने चुनाव की तरह रणनीति बनाने में व्यस्त हैं। कोशिश की जा रही कि लोकसभा उप चुनाव की तरह कोई चूक न हो जाए। बीजेपी का यहां प्रत्याशी घोषित होने से पहले ही योगी ने अपनी पुरानी टीम को सहेजा। खासकर, हिन्दू युवा वाहिनी को। ऐसा माना जाता है कि उप चुनाव में योगी संरक्षित यह वाहिनी उदासीन भूमिका में थी। दो दिन पहले गोरखपुर में उन्होंने एक बार फिर अपनी उस टीम की मुस्तैदी पर फोकस किया जो उनके चुनाव में एक विशेष रणनीति से जुटती थी।
बीजेपी और हिन्दू युवा वाहिनी के चुनिंदा लोगों के साथ हुई योगी की मीटिंग में वह सीएम के रूप में नहीं नजर आए बल्कि उस योगी के रूप में नजर आए जो खुद सांसद का चुनाव लड़ा करते थे। इस मीटिंग में उनके हाथ में तमाम कागजात थे जिसमें उन्हें अपने चुनाव से लेकर उप चुनाव तक बीजेपी को मिले वोटों का हिसाब-किताब था। अपनी टीम को उन्होंने यह संदेश देने की कोशिश की यह चुनाव फिल्मी दुनिया के ‘रवि” का नहीं बल्कि राजनीतिक आदित्य का है।
विधायकों की भी ली क्लास
अपनी खास टीम के साथ मीटिंग करने के साथ ही योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर लोकसभा क्षेत्र के पांच विधायकों की भी तगड़ी क्लास ली। योगी ने एक तरह से यह भी मैसेज दिया कि इस चुनाव में विधायकों की उनके क्षेत्र में पकड़ का भी पता चल जाएगा। उन्होंने दो टूक समझा दिया कि विधायक यह मानकर चूक से बचें कि वह (विधायक) खुद अपना चुनाव लड़ रहे हैं।
गोरखपुर में क्यों परेशान हैं योगी
गोरखपुर संसदीय सीट पर योगी आदित्यनाथ की परेशानी की वजह साफ है। उप चुनाव में जिस तरह से भाजपा प्रत्याशी की घेराबंदी हुई थी, लगभग उसी तरह की स्थिति एक बार फिर नजर आ रही है। उप चुनाव में बसपा के समर्थन और निषाद समुदाय के प्रत्याशी के बूते इस बिरादरी के वोटरों के जुटान से सपा ने बीजेपी को तगड़ी शिकस्त दी थी। इस चुनाव में भी सपा-बसपा गठबंधन से बीजेपी को कड़ी चुनौती मिल रही है। सपा का प्रत्याशी भी निषाद बिरादरी का है।
इसके अलावा ठीक एक दिन पहले कांग्रेस ने यहां ब्राह्मण प्रत्याशी उतारकर बीजेपी के समीकरणों को और चुनौती पेश कर दी है। गोरखपुर योगी आदित्यनाथ का गृहक्षेत्र है, ऐसे में यदि उप चुनाव के बाद इस चुनाव में भी नतीजा उत्साहवर्धक नहीं रहा तो यह सीधे एक मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा को चोट होगी।