मल्लिका दूबे
गोरखपुर यूपी के सीएम की सिटी है। ऐसे में यहां के लोग प्रदेश केअन्य जिलों की तुलना में खुद के लिए सुविधाओं की अधिक उम्मीद रखते हैं। लेकिन सीएम सिटी में स्वास्थ्य सेवा को लेकर पिछले कुछ दिनों से ऐसा संकट खड़ा हुआ है कि कमजोर तबके के मरीज हक्का-बक्का हो गये हैं। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के अपने शहर गोरखपुर में वित्तीय वर्ष की पहली तारीख से ही गरीब तबके के मरीजों पर मानो आफत का पहाड़ टूट पड़ा है।
अपने इलाज के लिए जिला अस्पताल पर निर्भर रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों के सामने अब पैथालजी जांच का संकट आन खड़ा है। कारण, जिला अस्पताल में पहली अप्रैल से पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल से संचालित पैथालजी सेंटर का बंद हो जाना। पीपीपी माडल पैथालजी सेंटर बंद हो जाने से गरीब मरीज हार्मोन्स, विटामिन्स और अन्य एडवांस जांच प्राइवेट में अत्यधिक फीस के चलते नहीं करा पा रहे हैं।
एक रुपये की पर्ची पर इलाज कराने वाले इन मरीजों के लिए अगर डाक्टर ने महंगी जांच लिख दी तो वे या तो बिना जांच कराए ही घर लौट जा रहे हैं या फिर मजबूरी में कर्ज लेकर जांच करा रहे हैं।
ऐसा हुआ क्यूं
गोरखपुर के जिला अस्पताल में पिछले चार साल से वल्र्ड बैंक स्पांसर स्कीम के तहत पीपीपी माडल पैथालजी संचालित रहा है। इसके तहत जिला अस्पताल के डाक्टरों द्वारा मरीजों के लिए जो भी महंगी जांच लिखी जाती थी, वह पीपीपी माडल पैथालजी में हो जाती थी। इसका सबसे बड़ा फायदा उन मरीजों को मिलता था जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनमें प्राइवेट पैथालजी सेंटर से हजार से डेढ़ हजार तक की जांच कराने की क्षमता नहीं थी। प्राइवेट फर्म से करार एक-एक साल के लिए होता रहा।
वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए करार चंदन पैथालजी के साथ था। 31 मार्च 2019 को करार की मियाद खत्म होते ही पीपीपी माडल पैथालजी बंद हो गयी। जिला अस्पताल के एसआईसी डा. राजकुमार गुप्ता बताते हैं कि निजी फर्म के पैथालजी के साथ करार नवीनीकरण को लेकर अभी कोई आदेश नहीं मिला है।
खून-पेशन की सौ से अधिक जांच बंद
सीएम सिटी के जिला अस्पताल में पीपीपी माडल पैथालजी बंद होने से यहां इलाज कराने आने वालों की सौ से अधिक जांचें नहीं हो पा रही हैं। आर्थिक रूप से सबल लोग तो निजी पैथालजी चले जा रहे हैं लेकिन गरीब मरीजों के हाथ जांच के नाम पर मायूसी ही आ रही है। पीपीपी माडल पैथालजी में एचबीवनएसी, कैंसर मार्कर, हेपेटाइटिस, सीरम क्रिटनिन, विटामिन डी, विटामिन बी-12, थायराइड, हारमोन्स की महंगी जांचों समेत सौ से अधिक जांच की मुफ्त सुविधा थी। पीपीपी माडल पैथालजी बंद होने के बाद अब जिला अस्पताल के अपने लैब में पहले से जो जांचें उपलब्ध हैं, उनकी का मुफ्त लाभ मरीजों को मिल रहा है।
आगे और भी दिक्कत
बताया जाता है कि वर्ल्ड बैंक स्पांसरशिप स्कीम अब जारी नहीं रहेगी। इसी स्कीम के तहत जिला अस्पताल में पीपीपी माडल पैथालजी संचालित होता था। स्कीम बंद होने के बाद आगे जिला अस्पताल में निजी फर्म से मुफ्त जांच की सुविधा नहीं मिलने वाली। हालांकि अस्पताल प्रशासन का कहना है कि अपने ही लैब में जांचों का दायरा और सुविधाओं में इजाफा किया जा रहा है।