जुबिली न्यूज डेस्क
दुनिया की अग्रणी टेक कंपनी गूगल का कहना है कि वह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर आधारित जो टूल विकसित कर रही है, उसका उद्देश्य समाचार रिपोर्टिंग में पत्रकारों की आवश्यक भूमिका की जगह लेना नहीं है. बल्कि ये टूल शोध करने और लेख लिखने में पत्रकारों की मदद करेंगे.
गूगल ने गुरुवार को कहा कि वह एआई आधारित टूल विकसित करने के लिए मीडिया कंपनियों – विशेष रूप से छोटे प्रकाशकों- के साथ काम कर रहा है. कंपनी का कहना है यह टूल “पत्रकारों को न्यूज हेडलाइन लिखने या अलग-अलग लेखन शैलियों के विकल्पों में सहायता कर सकते हैं.
गूगल की प्रवक्ता जेन श्राइडर ने इस संबंध में कंपनी के शुरुआती प्रयासों के बारे में कहा, “हमारा लक्ष्य पत्रकारों को इन उभरती प्रौद्योगिकियों का इस्तेमाल करने का विकल्प देना है जिससे उनका काम और उत्पादकता बढ़े. उन्होंने कहा, “हम यह साफ करना चाहते हैं कि इन टूल्स का उद्देश्य पत्रकारों की अपने विषयों की रिपोर्टिंग, न्यूज क्रिएट करना और फैक्ट चेकिंग जैसे काम की जगह लेना नहीं है. यह टूल केवल पत्रकारों को राइटिंग स्टाइल और खबरों के लिए हेडलाइन का सुझाव देंगे.”
नई बहस छिड़ने की संभावना
वैश्विक स्तर पर आर्थिक सुस्ती के कारण पहले ही मीडिया उद्योग पर संकट के बादल छाए हुए हैं. सिर्फ अमेरिका में इस साल के शुरूआती पांच महीनों में सैकड़ों पत्रकारों की नौकरी जा चुकी है.गूगल के जेनेसिस नाम के इस टूल पर रिपोर्ट सबसे पहले द न्यूयॉर्क टाइम्स ने दी थी. उसने बताया कि गूगल अपने नए टूल को द न्यूयॉर्क टाइम्स, वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूज कॉर्प जैसे ऑर्गेनाइजेशन के सामने प्रेजेंटेशन दे चुका है. टाइम्स के मुताबित कुछ प्रमुख मीडिया हस्तियों, जिन्होंने गूगल की पेशकश को देखा है इस पर चिंता व्यक्त की.
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फायदे और नुकसान दोनों
क्रेग न्यूमार्क ग्रेजुएट स्कूल ऑफ जर्नलिज्म के डायरेक्टर जार्विस ने कहा कि अगर ये टूल विश्वसनीय रूप से तथ्यात्मक जानकारी दे सकता है तो पत्रकारों को इसे यूज करना चाहिए जिससे उनका समय बच सके. दूसरी तरफ, अगर न्यूज आर्गेनाईजेशन इस टूल का इस्तेमाल उन विषयों पर करते हैं जिन्हें बारीकियों और सांस्कृतिक समझ की आवश्यकता होती है तो समाचार संगठनों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है.