जुबिली न्यूज डेस्क
इस्लाम धर्म में जुमा यानी (शुक्रवार) के दिन की खास अहमियत है. जुमा को छोटी ईद भी कहा जाता है. ऐसे में जुमा रमजान के पाक महीने का हो तो उसकी अहमियत और भी बढ़ जाती है. हदीस शरीफ के मुताबिक, रमजान में हर नेकी व इबादत के बदले सत्तर गुना ज्यादा सवाब मिलता है.
रमजान के अंतिम सप्ताह का जुमा अलविदा जुमा कहा जाता है. इस दिन को जुमा तुल-विदा के नाम से भी जाना जाता है. रमजान के महीने में मुसलमान पूरे 30 दिन तक रोजा रखते हैं. इस 30 दिन में करीब चार हफ्ते होते है और इन चार हफ्तों में जो रमजान के महीने का आखरी जुमा (शुक्रवार) आता है, उसे ही अलविदा जुमा कहते हैं.
अलविदा जुमा और इस्लाम में क्यों माना गया है इसे खास?
हदीस शरीफ के मुताबिक, जुमा के दिन इस्लाम धर्म कि कई बड़ी मान्यताएं जुड़ी हुई है. जैसे कि अल्लाह तआला ने इसी दिन आदम अलैहिस्सलाम (इस्लाम के हिसाब से दुनिया में भेजे गए पहले इंसान) को पैदा किया. इसी दिन उन्हें जमीन की तरफ उतारा या भेजा गया और इसी दिन उनकी वफात (मौत) भी हुई. कहते हैं जुमा के दिन एक घड़ी ऐसी भी होती है उसमें बन्दा अल्लाह से जो मांगे वो पूरा होता है. जुमा के दिन कयामत भी आएगी और मुकर्रिब फरिश्ते, आसमान, जमीन, हवाएं, पहाड़ और समुंदर सब के सब जुमे के दिन से डरते है.
अलविदा जुमा के दिन लोग क्या करते हैं?
अलविदा जुमा के दिन मुसलमान भाई और बहन नए कपड़े पहनते है. फर्ज के साथ कई सारे नफिल नमाज भी पढ़ते है. जिसे ज्यादा से ज्यादा सवाब (पुण्य) कमा सके.अल्लाह की इबादत करते है, उनसे अच्छाई की दुआ मांगते है, कुरान की ज्यादा से ज्यादा तिलावत करते है और गरीब/जरूरतमंदों कि मदद भी करते हैं. इसके अलावा इस्लाम धर्म में मान्यता है कि पांच फर्ज नमाज की तरह जुमे का नमाज भी मुसलमान मर्दों (पुरूष) पर फर्ज हैं. 17 रमजान जुम्मे के दिन ही जंग ए बदर भी हुई थी. जिसे इस्लाम धर्म की पहली जंग कही जाती हैं. अलविदा जुम्मा रमजान महीने के रुखसती का सिम्बल हैं. इसके बाद ईद शुरू हो जाता है. रमजान का महीना हमें मोहब्बत और अल्लाह के बताए हुए रास्ते पर चलना सिखाता है.
तीन अशरों में बंटा है रमजान का महीना
इस्लाम में कहा गया है कि रमजान के आखिरी अशरे (आखरी के 10 दिन) में अल्लाह से अपने गुनाहों की माफी मांगनी चाहिए. हर साल आखिरी जुमे को धूमधाम से मनाया जाता है और जुमे की नमाज के लिए मस्जिदों में खास तैयारियां होती हैं, मस्जिदों को सजाया जाता है. धूप छांव के लिए पंडाल शामियाना लगा का खुतबा सुना जाता है और नमाज अदा करने के बाद सभी नमाजी गले मिलते हैं. चित्रकूट में अलविदा जुमा पुरानी बाजार की बड़ी जामा मस्जिद में 21 अप्रैल 2023 को नमाज अदा की जाएगी.