जुबिली स्पेशल डेस्क
फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर एथलीट मिल्खा सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे। बीते कई दिनों से वो कोरोना की जंग लड़ रहे थे लेकिन शुक्रवार की रात को उनकी सांसों ने उनका साथ छोड़ दिया और वो जिंदगी जंग हार गए।
मिल्खा सिंह ने 91वीं साल की जिंदगी में बहुत कुछ कमाया था। बताया जा रहा है कि उन्होंने कोरोना को हरा दिया था और उनकी रिपोर्ट बीते दिनों नेगेटिव भी आ गई लेकिन शुक्रवार की रात को अचानक से एक बार फिर उनकी तबीयत खराब हो गई और ऑक्सीजन लेवल भी कम हो गया था। आनन-फानन में उनको चंडीगढ़ के पीजीआई के अस्पाताल में भर्ती कराया गया था लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
Former Indian Sprinter Milkha Singh, widely regarded as Flying Sikh, passed way last night ( June 18) at 11:30 pm.
He was admitted to ICU on June 3 due to dipping O2 level. On May 20, he had tested positive for COVID19. pic.twitter.com/SYHitglGkJ
— ANI (@ANI) June 18, 2021
13 जून को उनकी पत्नी निर्मल मिल्खा इस ने दुनिया को अलविदा कहा था। दो महान खिलाडिय़ों के निधन से खेल जगत में शोक की लहर है।महान धावक मिल्खा सिंह के निधन पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी दु:ख जताया है।
ट्विटर पर अपना दु:ख व्यक्त करते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है ”हमने एक महान खिलाड़ी खो दिया है। जिन्होंने देश की कल्पना पर कब्जा किया, असंख्य भारतीयों के दिलों में उनके लिए खास जगह थी। उनके व्यक्तित्व ने उन्हें लाखों लोगों का चहेता बना दिया। उनके निधन से दुखी हूं।
मिल्खा की रफ्तार का अंदाजा केवल इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में सभी दिग्गजों को पछाड़कर देश के लिए सोना जीता। इतना ही नहीं पूरी दुनिया में उनका डंका बजता था और उन्होंने एक समय अपने करियर में केवल तीन ही रेस हारी थीं। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह साल 1960 में हुए रोम ओलंपिक की 400 मीटर दौड़ के फाइनल मैच में चौथे स्थान पर रहे थे।
In the passing away of Shri Milkha Singh Ji, we have lost a colossal sportsperson, who captured the nation’s imagination and had a special place in the hearts of countless Indians. His inspiring personality endeared himself to millions. Anguished by his passing away. pic.twitter.com/h99RNbXI28
— Narendra Modi (@narendramodi) June 18, 2021
कुछ खास बातें
आपको बता दें कि फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह साल 1960 में हुए रोम ओलंपिक की 400 मीटर दौड़ के फाइनल मैच में चौथे स्थान पर रहे थे।
मिल्खा सिंह ने एक बार बीबीसी से बात करते हुए बताया था कि ‘रोम ओलिंपिक जाने से पहले मैंने दुनिया भर में कम से कम 80 दौड़ों में भाग लिया था और उसमें से 77 दौड़ें जीतकर उन्होंने एक अनोखा रिकॉर्ड कायम किया था। इसके बाद सबको लगा था कि रोम ओलिंपिक के लिए मिल्खा भारत को 400 मीटर की दौड़ में सोना दिलायेगे। हालांकि ऐसा हो नहीं सका।
ओलम्पिक में नहीं जीत सके थे पदक
बात अगर रोम ओलम्पिक की जाये तो मिल्खा सबसे आगे चल रहे थे लेकिन आखिरी छोर पर पीछे मुड़कर देखना उनके लिए भारी पड़ गया और इसी वजह से उनकी रफ्तार और लय टूट गई. उन्होंने 45.6 सेकंड का समय तो निकाला लेकिन एक सेकेंड के दसवें हिस्से से पिछड़कर वे चौथे स्थान पर रहे। इसके बाद मिल्खा ने जकार्ता में 1962 के एशियाई खेलों में गोल्ड मेडल जीता लेकिन वे समझ गए कि अब वे अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन कभी नहीं कर सकेंगे।
मिल्खा ने जिंदगी में काफी संघर्ष किया
मिल्खा सिंह का जन्म पाकिस्तान के गोविंदपुरा में हुआ था। उन्होंने बेहद कम उम्र में अपनो को खो दिया था और बंटवारे के दौरान ट्रेन की महिला बोगी में सीट के नीचे छिपकर किसी तरह से दिल्ली पहुंचे थे और फिर यहां शरणार्थी शिविर में रहते हुए ढाबों पर बर्तन साफ कर अपनी जिंदगी को दोबारा शुरू की थी। इसके बाद सेना में भर्ती हुए और वहां से एक धावक के रूप में अपनी अलग पहचान बनायी।