Saturday - 26 October 2024 - 5:29 PM

अलविदा दादा, हृदय में हमेशा धसे रहोगे

उत्कर्ष सिन्हा

जीवन की नश्वरता का जैसा वास्तविक एहसास आज हो रहा है पहले कभी नहीं हुआ । कुछ घंटों पहले तक जो शख्स आपकी जिंदगी का एक अटूट हिस्सा रहा हो उसके असमय मृत्य की खबर अचानक आपको तब मिले जब आप 350 किलोमीटर दूर एक बेटी की डोली को सजाने गए हों।

हृदय फटा जा रहा है, और मस्तिष्क सारी ऊर्जा को एकत्र करते हुए फर्ज को अंजाम देने की ओर धकेल रहा है।क्या डाक्टर , क्या चल रहा है? फोन की स्क्रीन पर दादा का नाम चमकते हुए ही समझ आ जाता कि अगला वाक्य यही सुनने को मिलेगा ।

दादा यानी विश्वदीप घोष, गहरा दोस्त, आदर्श पत्रकार, सहज व्यक्ति जिसने बीते 20 साल साथ निभाया उसकी अंतिम यात्रा में भी शामिल न हो पाना अंदर तक साल रहा है। जिंदगी भर किसी को कभी धोखा न देने वाले दादा ने अचानक बहुत बड़ा धोखा दे दिया ।

बहुत कुछ एक जैसा था हम दोनो में, जवानी में क्रिकेट का जुनून एक सा, खबरों को कड़ाई से लिखने का तेवर एक सा, लंबी ड्राइव करने का शौक एक सा , एक ही अखबार के बारी बारी संपादक भी हम बने ।

दोनो की अर्धांगिनियों का नाम एक सा, दोनो की बेटियों का नाम कस्तूरी । दादा पैरामिलिट्री की अफसरी के दौरान कमांडो ट्रेनिंग के दौरान एक दुर्घटना के बाद नौकरी छोड़ कर क्राइम रिपोर्टर बन गए थे । अंग्रेजी अखबारों में उस जैसा क्राइम रिपोर्टर न हुआ और न ही होगा ।

मुझे हमेशा कहते डाक्टर तुमको साला IPS होना चाहिए था, बहुत बवाल काटते। अक्सर शाम को उनकी गाड़ी में बैठ कर हम बेवजह शहर का चक्कर काटते रहते । कभी कभी तो आधी रात तक बेवजह । 5 जून की शाम उनकी गाड़ी में यही हुआ था। मालूम नही था ये चक्कर आखिरी होगा ।

बुरा किया ईश्वर आपने, खैर

 

Radio_Prabhat
English

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com