न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली। भारतीय शेयर बाजार में संस्थागत निवेशकों (इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स) ने साल 2019 में रिकॉर्ड निवेश किया है। एक शोध में पाया गया है कि डमेस्टिक इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DII) और फॉरन इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FII) ने 2019 में कुल मिलाकर 1.43 लाख करोड़ रुपए निवेश किए।
यह पिछले 15 सालों में सबसे ज्यादा है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार की तरफ से उठाए गए फैसलों का निवेशकों ने स्वागत किया है। बजट में FPI पर बढ़ाए गए सरचार्ज को निर्मला सीतारमण ने अगस्त में वापस ले लिया था, जिसका असर साफ दिख रहा है।
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फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स (FPI) ने इस रकम में से करीब दो तिहाई हिस्सा निवेश किया। बाकी पैसा लोकल फंड्स ने निवेश किया। पिछले 15 वर्षों में संस्थागत निवेशकों ने भारतीय शेयर बाजार में सालाना औसतन 75076 करोड़ का निवेश किया है।
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2019 में संस्थागत निवेशकों ने इस औसत का लगभग दोगुना पैसा निवेश किया। FPI और DII पिछले 15 में से छह वर्षों में नेट बायर रहे यानी उनका कुल निवेश उनकी ओर से की गई कुल बिकवाली से ज्यादा रहा।
इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स ने पिछले 15 वर्षों में कुल मिलाकर करीब 162 अरब डॉलर भारतीय शेयर बाजार में निवेश किए हैं। इस दौरान विदेशी संस्थागत निवेशकों और देशी संस्थागत निवेशकों के निवेश का अनुपात 2.55 रहा।
देशी निवेशकों का निवेश बढ़ा
संस्थागत निवेशकों के पास सितंबर 2019 के अंत में बीएसई 500 कंपनियों की टोटल इक्विटी का करीब एक तिहाई हिस्सा था। 2019 में संस्थागत निवेश भारतीय शेयर बाजार के कुल पूंजीकरण का करीब एक प्रतिशत रहा।
यह पिछले पांच साल के औसत के आसपास रहा, जिस दौरान देसी निवेशकों की ओर से निवेश बढ़ा। इस निवेश में बढ़ोतरी सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान के जरिए निवेश बढ़ने के कारण आई।
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DII का हिस्सा सितंबर तिमाही में 14.40%
बीएसई 500 कंपनियों में डमेस्टिक इंस्टिट्यूशनल इन्वेस्टर्स का हिस्सा सितंबर तिमाही में 14.4% के साथ रेकॉर्ड हाई पर पहुंच गया। लोकल मनी का दमखम बढ़ने से डमेस्टिक म्यूचुअल फंड्स और फॉरन पोर्टफोलियो इन्वेस्टर्स के ट्रेडिंग वॉल्यूम के प्रतिशत का अंतर काफी घटा। 2019 में डोमेस्टिक म्यूचुअल फंड्स का ट्रेडिंग वॉल्यूम विदेशी संस्थागत निवेशकों के ट्रेडिंग वॉल्यूम के करीब आधे पर रहा।