उत्कर्ष सिन्हा
जिस दौर में सिनेमा के पोस्टर्स पर खून, बंदूके और तमंचे छाए रहते थे उस दौर में हांथो में गिटार और ढपली लिए एक मासूम चेहरे ने बड़ी घमक के साथ अपनी जगह बना ली थी।
70 के दशक में युवाओं को रोमांस व प्यार के जुनून से परिचय कराने वाले ऋषि कपूर ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया।
ऋषि कपूर और अमिताभ बच्चन ने एक ही साल स्टारडम का स्वाद चखा मगर दोनों के मिज़ाज में बड़ा फर्क था. अमिताभ की आँखों में गुस्सा था और ऋषि कपूर के होंठो पे मुहब्बत. और ये फर्क पर्दे पर हर उस बार महसूस हुआ जब अमिताभ और ऋषि एक साथ किसी फिल्म में दिखाई दिए.
यों तो कपूर खानदान का चिराग होने के कारण ये बहुत ही स्वाभाविक था की वो भी सिनेमा में आएं मगर बरगद के नीचे कुछ भी पनपना बहुत मुश्किल होता है, और फिर कपूर खानदान तो बरगदो का एक पूरा झुण्ड था .
लेकिन ऋषि कपूर ने इस चुनौती को बखूबी स्वीकारा. जिस दौर में ऋषि सिनेमा में आये थे उस वक्त परदे पर रोमांस के मामले में उनके सामने उनके चाचा शशि कपूर उन्हें चुनौती दे रहे थे. मगर परदे पर गिटार और ढपली लिए ऋषि कपूर ने खुद को रोमांस का राजकुमार बना दिया.
70 के दशक में गले में मफलर और गुलाबी होंठो के साथ ऋषि कपूर ने युवा प्रेमियों की धड़कने बढ़ा दी थी. एक के बाद एक गोल्डन जुबिली फिल्मो ने ऋषि कपूर का मतलब ही प्यार लिख दिया.
ऋषि हिंदी सिनेमा के एकलौते स्टार रहे जिन्होंने 25 नयी हिरोईनों के साथ काम करके उन्हें सफलता का स्वाद चखाया. 70 के दशक में रंजीता कौर, नीतू सिंह, मौसमी चटर्जी, काजल किरण उनकी हिरोईने थी तो और 90 के दशक में वे दिव्या भारती के साथ रोमांस कर रहे थे.
70 और 80 के दशक में पर्दें पर रोमांस का जादू बिखेरने वाले ऋषि कपूर ने 50 साल के करियर में कुल 121 फिल्में की। इसमें 92 फिल्में रोमांटिक रही।1973 से 2000 के बीच ऋषि कपूर ने 92 रोमांटिक फिल्मों में काम किया जिनमें से 36 फिल्में सुपरहिट साबित हुईं।
ऋषि हमेशा फैशन आईकन रहे. पहले लंबा मफलर और फिर जब वे मोटे होने लगे तो फिर उन्होंने स्वेटर को अपना अंदाज बना लिया. बाजार में गोल गले का स्वेटर फैशन में आया तो कहीं न कहीं ऋषि कपूर उसके पीछे थे. श्रीदेवी के साथ नगीना में वे पीली शर्ट और काली पेंट के साथ आये और उसके बाद कालेजो में लम्बे समय तक लड़को में ये कम्बीनेशन एक क्रेज बन गया.
बाद के दिनों में जब ऋषि ने अपनी भूमिका बदली तो उनका खलनायक भी जबरदस्त निकला . ऋत्विक रोशन के साथ अग्निपथ का वो गुंडा रउफ लाला बहुत खतरनाक था तो अर्जुन कपूर के साथ औरंगजेब का क्रूर पुलिस अफसर भी यादगार रहा .
अमिताभ के साथ उन्होंने आखिरी फिल्म की थी 102 नाट आउट, और इस फिल्म में भी उन दोनों की केमेस्ट्री वैसी ही थी जैसी कभी कभी, नसीब, कुली और अमर अकबर एंथनी में दिखाई दी थी.
तीन पीढ़ियों का दिल धडकाना हर किसी के बस की बात नहीं होती मगर ऋषि कपूर ने 30 सालों में कई माँओं का दिल भी धड्काया और उनकी बेटियों के दिल में भी प्यार जगा दिया .
अलविदा रोमास के शहजादे. तुम्हारी हर अदा बहुत याद आएगी .