पॉलिटिकल डेस्क
सरयू और घाघरा नदी के किनारे बसा ‘गोंडा’ यूपी के सबसे उपजाऊ जिलों में से एक है। राजा सुहलदेव का यह पूरा क्षेत्र अपने आप में कई वर्षों का इतिहास समेटे हुए है। गोंडा और बहराइच की सीमा पर साहेत-माहेत गांव में हुई खुदाई में कई प्राचीन चीजे मिली जो प्राचीन श्रावस्ती की पहचान बताती है।
चन्द्रप्रभनाथ की जन्मस्थली
जैन ग्रंथों के मुताबिक, श्रावस्ती तीसरे तीर्थंकर सम्भवनाथ और आठवें तीर्थंकर चन्द्रप्रभनाथ की जन्मस्थली है। वास्तव में एक लम्बे समय तक श्रावस्ती का इतिहास ही गोंडा का इतिहास है। ऐसी मान्यता है कि भगवान बुद्ध के दौर में इस क्षेत्र की एक अलग ही पहचान थी।
उस दौर में यह क्षेत्र इतना प्रगतिशील और समृद्ध था की भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के 21 साल यहीं बिताये। यहां पृथ्वी नाथ मंदिर, श्री स्वामीनारायण मंदिर देखने योग्य है। यहां शुगर मिल भी बहुतायत में हैं। भारत की बड़ी शुगर मिलों में से एक कुंदरखी में मौजूद है। यहां अवधी बोली लोग बोलते हैं।
आबादी/ शिक्षा
गोंडा यूपी के 75 जिलों में से एक है। इस जिले में 1,817 गांव और 10 शहर है। गोंडा में 4 तहसीलें है जिसमें गोंडा, कर्नलगंज, तरबगंज और मनकापुर शामिल है। 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 34,33,919 है जिनमें महिलाओं की 16,46,773 और पुरुषों की आबादी 17,87,146 है। राज्य का औसत लिंगानुपात 912 के मुकाबले जिले में प्रति 1000 पुरुषों पर 921 महिलायें है।
कुल आबादी का 93.45 प्रतिशत लोग शहरों में जबकि 6.55 प्रतिशत लोग गांवों में रहते हैं। यहां की आबादी में 15. 49 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित जाति और 0.03 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति का है। यह जिला शिक्षा की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है।
यहां की औसत साक्षरता दर 48.92 प्रतिशत है जिनमें पुरुषों की साक्षरता दर 57.87 प्रतिशत और महिलाओं की साक्षरता दर 39.22 प्रतिशत है। गोंडा मुख्य रूप से हिन्दू बाहुल्य क्षेत्र है। यहां की 79.77 प्रतिशत आबादी हिन्दू और 19.76 प्रतिशत आबादी मुस्लिम धर्म में आस्था रखती है। वर्तमान में यहां कुल मतदाताओं की संख्या 1,710,825 है जिसमें महिला मतदाता 775,608 और पुरुष मतदाता की संख्या 935,167 है।
राजनीतिक घटनाक्रम
गोंडा लोकसभा सीट का गठन 1952 में हुआ था, तब इसे गोंडा उत्तर सीट नाम से जाना जाता था। चौधरी हैदर हुसैन यहां के पहले सांसद थे। वर्तमान सांसद कीर्ति वर्धन सिंह, भाजपा से हैं । गोंडा में उतरौला, गौरा, गोंडा, मनकापुर और महनून विधानसभाएं हैं। मनकापुर विधानसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है।
अस्तित्व में आने के बाद से ही गोंडा की लोकसभा सीट सामान्य श्रेणी की रही है। 1957 में कांग्रेस के दिनेश प्रताप सिंह जीतकर गोंडा के पहले सांसद बने। 1962 और 1967 तक के आम चुनाव भी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने जीते। 1971 के चुनाव में भी यहां की जनता ने कांग्रेस को चुना।
1977 के चुनाव में यहां का राजनीतिक समीकरण बदला और भारतीय लोकदल के सत्यदेव सिंह ने इस सीट पर कब्जा किया। एक बार कांग्रेस ने वापसी की और 1980 में कांग्रेस (आई), 1984 और 1989 के चुनाव कांग्रेस ने जीत दर्ज की। 1991 में यहां बीजेपी ने अपना खाता खोला। इतना ही नहीं 1996 के चुनाव में भी बीजेपी अपनी सीट बचाने में कामयाब रही।
1998 के चुनाव में बीजेपी की नजर तीसरी जीत पर थी मगर समाजवादी पार्टी के राजा भैया ने उनका यह सपना पूरा नहीं होने दिया लेकिन अगले साल हुए चुनावों में बीजेपी ने अपनी हार का बदला ले लिया। 2004 में सपा के राजा भईया और 2009 में कांग्रेस के बेनी प्रसाद वर्मा गोंडा की सीट जीतकर लोकसभा पहुंचे। वर्तमान में यहां से भारतीय जनता पार्टी के कीर्ति वर्धन सिंह सांसद है।