न्यूज डेस्क
पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने 19 मार्च को शोर-शराबे के बीच राज्यसभा की सदस्यता ली। शपथ लेने के कुछ घंटे बाद ही उन्होंने कहा कि आधा दर्जन लोगों का गैंग जजों को फिरौती देता है।
राज्यसभा सांसद गोगोई ने एक दर्जन लोगों की “लॉबी” के बारे में बात की, जो जजों को फिरौती देते हैं। उन्होंने कहा कि जब तक इस लॉबी का गला नहीं घोटा जाएगा न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती।
सुप्रीम कोर्ट के तीन अन्य न्यायाधीशों के साथ जनवरी 2018 में प्रेस कांफ्रेंस और शाहीन बाग के बारे में बात करते हुए उन्होंने यह खुलासा किया। इसके साथ ही उन्होंने इस दावे को भी खारिज कर दिया कि संसद के ऊपरी सदन के लिए उनका नामांकन किसी तरह का एहसान या तोहफा नहीं था।
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हालांकि गोगोई ने यह नहीं बताया कि वह कौन सी लॉबी है जो न्यायपालिका में फिरौती देती है? उन्होंने आगे कहा कि ‘न्यायपालिका की स्वतंत्रता का मतलब है ऐसी लॉबी की पकड़ को तोडऩा। जब तक इस लॉबी को तोड़ा नहीं जाएगा न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं हो सकती। अगर कोई केस उनके मनमुताबिक नहीं चलता तो वो फिरौती देकर केस को रुकवा देते हैं। वो जजों को हर संभव रास्ते से प्रभावित करने की कोशिश करते हैं।’
जजों के बारे में बात करते हुए गोगोई ने कहा कि जजों के लिए उनके मन में एक डर है। जज ये लॉबी नहीं चाहते और शांति से रिटायर होना चाहते हैं।
अयोध्या और राफेल केस का निर्णय सरकार के पक्ष में गया था, जिसके बाद गोगोई का नामांकन राज्यसभा के लिए किया गया। इस पर लोगों ने गोगोई पर आरोप लगाए थे कि ये नामाकंन सरकार द्वारा दिया गया एक तोहफा है।
इस सवाल पर गोगोई ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं है। उन्हें बदनाम किया गया क्योंकि उन्होंने लॉबी को ललकारा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या और राफेल निर्णय सर्वसम्मत थे। आप अगर इस तरह के आरोप लगाएंगे तो आप इन दो निर्णयों में शामिल सभी न्यायाधीशों की अखंडता पर सवाल उठा रहे हैं।
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