जुबिली न्यूज़ ब्यूरो
नई दिल्ली. 30 जनवरी को देश जब महात्मा गांधी की पुण्यतिथि को शहीद दिवस के रूप में मना रहा था तब मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हिन्दू महासभा गोडसे स्मृति दिवस मना रही थी. इतना ही नहीं हिन्दू महासभा ने 2017 में गोडसे का मन्दिर बनाकर जेल जाने वाले अपने चार नेताओं के साथ-साथ अभी हाल में महात्मा गांधी के बारे में अपमानजनक भाषण देने वाले कालीचरण को गोडसे भारत रत्न से सम्मानित किया.
इस कार्यक्रम में हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जयवीर भरद्वाज ने भारत और पाकिस्तान को फिर से एक करने की शपथ दिलाई. इस समारोह की चर्चा आम हुई तो कांग्रेस पार्टी ने इस कार्यक्रम की तीखी आलोचना की जबकि भारतीय जनता पार्टी ने इसे अभिव्यक्ति की आज़ादी बताया.
कांग्रेस विधायक सतीश सिकरवार ने कहा कि गोडसे के विचारों को बढ़ावा देने वाले गांधी जी की रोज़-रोज़ हत्या कर रहे हैं. प्रशासन को ऐसे लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करना चाहिए जबकि बीजेपी ने कहा कि यह तो अभिव्यक्ति की आज़ादी का मामला है.
ग्वालियर में इस तरह का आयोजन का मतलब इसलिए भी ख़ास हो जाता है क्योंकि महात्मा गांधी की हत्या की साज़िश ग्वालियर में ही रची गई थी. इसी शहर में गांधी जी की हत्या के लिए गोडसे को पिस्टल उपलब्ध करवाई गई थी. 23 जनवरी की रात पंजाब मेल से ग्वालियर पहुंचा नाथूराम गोडसे सीधा हिन्दू महासभा के दफ्तर ही गया था.
ग्वालियर में सेना द्वारा जब्त की गई पिस्टल 500 रुपये में खरीदी गई थी. इस पिस्टल से गोडसे ने स्वर्णरेखा नदी की किनारे बाकायदा निशाना लगाने की प्रैक्टिस की थी. छह दिन तक निरंतर गोली चलाने का अभ्यास करने के बाद गोडसे अपने साथी आप्टे के साथ दिल्ली गया था. अगले ही दिन उसने महात्मा गांधी को तीन गोलियां मारकर उनकी हत्या कर दी थी.
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