- श्रीलंका को 64वां रैंक मिला है
- नेपाल को 81वां
- पाकिस्तान को 99वां स्थान मिला है
- अफगानिस्तान (109 रैंक) दक्षिण एशिया का एकमात्र देश है
जुबिली स्पेशल डेस्क
ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2022: रिपोर्ट जारी हो गई है। 121 देशों के लिए की गई रैंकिंग में भारत 107वां पायदान पर आया है। विडंबना है, भारत में जो अन्न भंडार हैं, धान और गेहूं, हमारी जरूरत से कहीं ज्यादा हैं। बावजूद देश में इतना अन्न होने के बाद भी यदि हमारी रैंकिंग 107 आती है, तो यह चिंता का विषय है।
यदि ऐसा है तो कहीं न कहीं भोजन का प्रबंधन खराब हो रहा है। देश में खाना भी अतिरिक्त है और दुनिया के सबसे ज्यादा भूखे भी यहीं हैं, तो हमें इस दिशा में सोचना ही पड़ेगा कि आखिर कमी कहां हैं।
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI)
ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर भूख को व्यापक रूप से मापने और ट्रैक करने का एक उपकरण है। जीएचआई स्कोर की गणना 100 अंकों के पैमाने पर की जाती है जो भूख की गंभीरता को दर्शाता है, जहां शून्य सबसे अच्छा स्कोर है और 100 सबसे खराब. भारत का 29.1 का स्कोर इसे ‘गंभीर’ श्रेणी में रखता है। वहीं चीन सामूहिक रूप से 1 और 17 के बीच रैंक वाले देशों में से है, जिसका स्कोर पांच से कम है।
भूख के मद्देनजर हमारे देश को ज्यादा सजग होना है। इसके लिए सरकार को इस दिशा में ज्यादा सोचने की जरूरत है। अब हमें दुनिया में एक ऐसा तंत्र बनाना होगा, जो न केवल कृषि को संकट से निकाले, बल्कि खाद्य तंत्र को उस दिशा में ले चले, जहां सबके लिए पोषण-भोजन का प्रबंध हो सके।
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कोरोना महामारी के समय पूरी दुनिया को कृषि क्षेत्र ही एक आधार के रूप में नजर आया है। भारत में देखा गया है, जब जीडीपी ग्रोथ माइनस 23.9 प्रतिशत था, तब कृषि ही सकारात्मक विकास दर को बरकरार रख सकी। कृषि में आपदा के समय भी 3.4 प्रतिशत की विकास दर देखी गई।
लेकिन हमारे देश में कृषि की हमेशा से अनदेखी हुई है, जबकि कृषि भारत की रीढ़ है। दशकों से देश की नीति रही है कि उद्योग जगत के लिए कृषि से समझौता किया जाए। सोच की यह नाकामी आपदा के समय सामने आई है। अब जरूरी है कि हम खेती-किसानी को इतना संपन्न बनाएं कि किसानों की आय बढ़े।
2014 के बाद बिगड़े हालात
भारत की स्थिति वाकई बुरी है। यहां लगभग 14 प्रतिशत लोग कुपोषण के शिकार हैं। सरकार के तमाम दावों के बावजूद पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु दर 3.7 प्रतिशत है। इसके अलावा ऐसे बच्चों की दर 37.4 है कुपोषण के कारण जिनका विकास नहीं हो पाता है।
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साल 2014 से पहले गर इनडेक्स में 76 देशों की सूची में भारत 55 वें स्थान पर था। उस समय कहा गया था कि भारत की स्थिति इस मामले में बीते साल की तुलना में सुधरी है। उस समय भारत पाकिस्तान और बांग्लादेश से बेहतर स्थिति में था, पर उस समय भी भारत, नेपाल और श्रीलंका से बदतर हालत में था।