जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तराखंड के चमोली में शुक्रवार की रात ग्लेशियर फटने से भारी संख्या में लोगों के प्रभावित होने की खबर है। अब तक आठ लोगों के शव बरामद किए गए हैं, जबकि छह लोगों की स्थिति नाजुक है। वहीं लगभग 400 लोगों को बचा लिया गया है।
कुछ दिन पहले ही उत्तराखंड में ग्लेशियर फटने से लगभग 50 लोगों की मौत हो गई थी और हजारों लोग प्रभावित हुए थे।
फिलहाल, मौके पर राहत व बचाव कार्य जारी है। एसडीआरएफ को तैनात कर दिया गया है। एसडीआरएफ ने एनडीटीवी से बताया कि बर्फीली तूफान वाली जगह पर बॉर्डर रोड ऑर्गनाइजेशन के मजदूरों के दो कैम्प बनाए हुए थे। यहां पर पुल निर्माण का काम चल रहा था। जिस समय तूफान आया मौसम बहुत खराब था।
इसके पहले लगातार पांच दिनों से भारी बारिश हो रही थी, बीच बीच में बर्फबारी भी चल रही थी। मौसम के बहुत अधिक खराब और बर्फबारी की वजह से कई जगहों पर रास्ता बंद हो गया था। इस कारण राहत व बचाव टीम को हादसे की जगह पर पहुंचने में देर हुई।
जिस जगह ग्लेशियर फटा है, वहां से सेना का कैंप करीब तीन किलोमीटर दूर है। खबर मिलते ही सेना के जवान वहां पहुंच गए और बचाव कार्य का मोर्चा संभाल लिया है। खराब मौसम की वजह से इसमें दिक्कत हो रही है।
मालूम हो इसके पहले चमोली में ही ग्लेशियटर टूटने से तपोवन बैराज पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। ऋषि गंगा नदी पर बना ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट के डैम का एक हिस्सा टूट गया था। आसपास के क्षेत्रों को खाली करा लिया गया था। यह दुर्घटना जोशीमठ से मलारी की ओर करीब 20 किलोमीटर पर घटी थी।
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मालूम हो कि आईआईटी कानपुर, वाडिया इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन जीओलॉजी, उत्तराखंड स्पेस एप्लीकेशन सेंटर और एचएनबी गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने 1980 से 2017 के बीच उस इलाके के ग्लेशियर में हुए बदलाव पर अध्ययन किया था।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि मानव गतिविधियों और तामपान बढऩे की वजह से ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं और यह ट्रेंड जारी है। हालांकि इस रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि पनबिजली परियोजना की वजह से ही ऐसा हो रहा है, लेकिन परियोजना शुरू होने के बाद इसमें बढोतरी हुई है, इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।
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