न्यूज डेस्क
वर्ष 1997 में आज का दिन भारत के लिए बहुत ही मनहूस दिन साबित हुआ है। 13 जून का दिन भारत की एक ऐसी आग दुर्घटना से जुड़ा है, जिसे 22 बरस बाद भी भुलाया नहीं जा सका है। आज ही के दिन दक्षिण दिल्ली के उपहार सिनेमाघर में ‘बॉर्डर’ फिल्म के प्रदर्शन के दौरान आग लग गई थी। उस फिल्म को देखने पहुंचे बहुत से लोगों में 59 लोगों के लिए अंतिम दिन साबित हुआ था। इतना ही नहीं इस आग में 100 से अधिक लोग घायल भी हो गए थे।
इस भीषण अग्निकांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। इस हादसे में बहुत लोगों ने अपनों को खोया है। 22 साल बाद भी उनके घाव हरे हैं। उनकी खामोशी और आंखों से बहते आंसु इसकी गवाही देते हैं कि उनका गम बहुत बड़ा है। इस हादसे ने बहुत से लोगों को अंदर तक खामोश कर दिया है। उनकी तन्हाई ने उनकी जिंदगी की शाम को बेजार कर दिया है।
किसी ने बेटा खोया तो किसी ने बेटी
22 साल पहले हुए इस अग्निकांड में किसी ने अपना जवान लड़का खोया तो किसी ने जवान बेटी। इस अग्निकांड में 59 लोगों की जान गई थी। इन सबके परिजन तिल-तिलकर जीने को मजबूर हैं। पीडि़त परिजनों की आंखों में 22 साल पहले का खौफ, तकलीफ आज भी दिखती है। कुछ मां-बाप तो ऐसे हैं, जो आज तन्हाई में अपनी जिंदगी की आखिरें शाम गुजार रहे हैं और मौत का इंतजार कर रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि आज उनके पास न तो जीवन जीने का कोई सहारा है और न ही कोई मकसद। ऐसे एक नहीं,बल्कि कई लोग हैं, जिनका पूरा परिवार ही इसमें तबाह हो गया।
कैसे हुआ था हादसा
रिपोर्टों के मुताबिक़ शो के दौरान सिनेमाघर के ट्रांसफॉर्मर कक्ष में आग लग गई थी, जो तेजी से अन्य हिस्सों में फैल गई। देखते ही देखते सिनेमा हॉल से चीखों की आवाज आने लगी। इस दुर्घटना में 59 लोगों की मौत हो गई, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। घटना की जांच के दौरान पता चला था कि सिनेमाघर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं थे।
उपहार कांड में कब क्या-क्या हुआ
13 जून 1997- उपहार सिनेमा में बार्डर फिल्म के प्रसारण के दौरान आग लगने से 59 लोगों की मौत हो गई।
22 जुलाई 1997- पुलिस ने उपहार सिनेमा मालिक सुशील अंसल व उसके बेटे प्रणव अंसल को मुंबई से गिरफ्तार किया।
24 जुलाई 1997- मामले की जांच दिल्ली पुलिस से सीबीआइ को सौंपी गई।
15 नवंबर 1997- सीबीआइ ने सुशील अंसल, गोपाल अंसल सहित 16 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर की।
27 फरवरी 2001- अदालत ने सभी आरोपियों पर गैर इरादतन हत्या, लापरवाही व अन्य मामलों के तहत आरोप तय किए।
24 अप्रैल 2003- हाईकोर्ट ने 18 करोड़ रुपये का मुआवजा पीडि़तों के परिवार वालों को दिए जाने का आदेश जारी किया।
20 नवंबर 2007- अदालत ने सुशील व गोपाल अंसल सहित 12 आरोपियों को दोषी करार दिया। सभी को दो साल कैद की सजा सुनाई।
4 जनवरी 2008- हाईकोर्ट से अंसल बंधुओं व दो अन्य को जमानत मिली।
11 सितंबर 2008- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की जमानत रद की और उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गया।
19 दिसंबर 2008- हाईकोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को दो साल से घटाकर एक साल कर दिया और छह अन्य आरोपियों की सजा को बरकरार रखा।
30 जनवरी 2009- उपहार कांड पीडि़तों के संगठन ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट अंसल बंधुओं को नोटिस जारी किया।
17 अप्रैल 2013- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं, उपहार कांड पीडि़तों व सीबीआइ की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रख लिया।
5 मार्च 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं की सजा को बरकरार रखा।
19 अगस्त 2014- सुप्रीम कोर्ट ने अंसल बंधुओं पर 30-30 लाख का जुर्माना लगाकर उन्हें रिहा कर दिया।
17 दिसंबर 2018- दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे
दिसंबर 2018- दिल्ली हाईकोर्ट ने उपहार सिनेमा अग्निकांड में सजा पाने वाले उसके मालिक सुशील अंसल का पासपोर्ट जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया था।