Tuesday - 29 October 2024 - 8:01 AM

गुलाम नबी आज़ाद ने इसलिए नहीं मानी सोनिया गांधी की यह बात

जुबिली न्यूज़ ब्यूरो

नई दिल्ली. कांग्रेस पार्टी ने इमरान प्रतापगढ़ी जैसे नए कार्यकर्त्ता को राज्यसभा भेजने पर मोहर लगाई लेकिन गुलाम नबी आज़ाद जैसे पुराने दिग्गज कांग्रेसी को राज्यसभा भेजने से इनकार कर दिया. शायद यही वजह रही हो कि गुलाम नबी आज़ाद ने कांग्रेस पार्टी में नम्बर दो पर आने के ऑफर को ठुकरा दिया. गुलाम नबी आज़ाद का दर्द यह है कि उन्होंने जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री की भूमिका से लेकर इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम किया और जब तमाम दिग्गज पार्टी को छोड़कर चले गए तब भी उन्होंने कांग्रेस का दामन नहीं छोड़ा. बिहार के एक क्षेत्रीय दल ने जब उनसे अपनी पार्टी से राज्यसभा जाने की पेशकश की तो भी उन्होंने विनम्रता से मना कर दिया, फिर आखिर वह कौन सी वजह रही जो कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा भेजने में दिलचस्पी नहीं ली.

राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम तय करने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आज़ाद को लिस्ट दिखाई और उनसे पार्टी संगठन में नम्बर दो की हैसियत से काम करने को कहा. गुलाम नबी आज़ाद राज्यसभा जाना चाहते थे. गुलाम नबी आज़ाद ने सोनिया गांधी से स्पष्ट कहा कि वह राज्यसभा में पार्टी का पक्ष रखना चाहते हैं. पार्टी संगठन में जो लोग ज़िम्मेदारी उठा रहे हैं उनकी उम्र में और मेरी उम्र में जो बड़ा फासला है उसमें आपसी समझ बन पाना आसान नहीं है. इसलिए पार्टी में नम्बर दो पर काम नहीं कर सकते. हालांकि आज़ाद ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि जब पूरी ज़िन्दगी कांग्रेस के साथ गुजारी है तो उम्र केक इस पड़ाव पर पार्टी नहीं छोड़ेंगे.

पार्टी सूत्रों का कहना है कि सोनिया गांधी ने गुलाम नबी आज़ाद को राज्यसभा भेजने से इसलिए मना किया क्योंकि मल्लिकार्जुन खड़गे राज्यसभा में नेता विपक्ष हैं. उन्हें यह जगह आज़ाद के रिटायर होने के बाद मिली थी. आज़ाद फिर राज्यसभा पहुँच जाते तो सीनियारिटी के हिसाब से वही नेता विपक्ष बनते और खड़गे को हटना पड़ता. सोनिया नहीं चाहतीं कि मौजूदा हालात में कोई बदमजगी हो.

कांग्रेस के मौजूदा हालात के बारे में सोनिया गांधी को तत्काल मंथन की ज़रूरत है. कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेता ने कांग्रेस का दामन छोड़कर समाजवादी पार्टी का दामन थाम लिया है. ऐसे में जो वरिष्ठ नेता पार्टी ले प्लर रहे हैं उनके सम्मान का ध्यान उन्हें रखना चाहिए. 2024 का चुनाव बहुत करीब है. पार्टी की इस चुनाव को लेकर कोई भी तैयारी नहीं है. ऐसे में मंथन अभी नहीं किया तो हालात और भी खराब होना तय हैं.

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