जुबिली न्यूज डेस्क
उत्तर प्रदेश में घोसी उपचुनाव काफी चर्चा में है. राजनीतिक गलियारों में घोसी उपचुनाव को लेकर माहौल गरम हैं, वहीं कयास लगाया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन का विपक्ष को पूरा लाभ मिलने वाला है. जिसका असर भाजपा पर साफ- साफ दिखाई दे रहा है.
बता दे कि घोसी उपचुनाव को लेकर छोटी पार्टियां काफी चर्चा में है, कहा जा रहा है कि इन पार्टियों का भाजपा में शामिल होने से विपक्ष को काफी नुकसान हो सकता है. वहीं बात अगर इंडिया गठबंधन की बात करें तो घोसी उपचुनाव उसके लिए भी एक परीक्षा है. क्योकि घोसी विधान सभा हमेशा से जातिय समीकरण पर अधारित रहा है.
छोटी पार्टियां क्यों हो रही मजबूत
आखिर छोटी पार्टियां क्यों हो रही है मजबूत… इस पर बात करते हुए प्रो. रविकांत चंदन ने बताया कि विशेष रूप से इन छोटे-छोटे दलों की अपनी महत्वकांक्षाएँ हैं, और उससे ज्यादा उनके सम्मान की बात है. मैं समझता हूँ कि भारतीय जनता पार्टी की जो ताकत है वो यही छोटे राजनैतिक दल हैं और खास करके अति पिछड़ा और नॉन यादव राजनीति है. शायद इसको कांग्रेस पार्टी या समाजवादी पार्टी समझ नहीं रही है या नजरअंदाज कर रही है, लेकिन असली संकट यही है और वो भी ये समझते हैं कि कौन उनको एडरेस कर रहा है, चाहे राजभर हो, निषाद हो ये लोग अपना नेता अमित शाह को मानते हैं. क्योकि अमित शाह ने अगर सबसे ज्यादा किसी को फॉलो किया है तो वो काशीराम को किया है, और पूरे तरीके से उत्तर प्रदेश में काशीराम के पोलिटिक्स को अपलाई किया है चाहे वो 2014 का चुनाव ही क्यों न हो और यही वजह है कि लगातार चुनाव में सफलता मिल रही है.
भारतीय जनता पार्टी की ताकत हिंहुत्व नहीं
रविकांत ने कहा मैं लगातार एक डेढ़ साल से कह रहा हूं भारतीय जनता पार्टी की ताकत हिंहुत्व नहीं है, हिंदुत्व के बलबूते पर वो चुनाव कभी नहीं जीती है. गुजरात को आप छोड़ दीजिए तो उत्तर प्रदेश में भी कभी नहीं, हिन्दुत्व अगर उनका पैर्टन होता तो राजभर के सामने घुटने नहीं टेकते, संजय निषाद उनके पास है ही केशव देव मौर्या को जोड़ा है, दारा सिंह चौहान को फागु चौहान को ये जो लीडरशीप है उस लीडरशीप को अमित शाह जोड़ रहे हैं. इसका उनको फायदा भी मिलेगा, और रही बात घोसी चुनाव की तो इसमें विपक्ष ही मजबूत नहीं है. बीजेपी की जो अंदरुनी कला है वो भी काम कर रही है.और मुझे नहीं लगता कि वहां विपक्ष जीतेगा. क्योकि स्याही फेकने वाली एक घटना ने दारा सिंह चौहान को मजबूत कर दिया है. जो कि पहले वो मजबूत नहीं थे. भाजपी नॉनयादव पोलिटिक्स करती है और यही राजनीति काशीराम करते थे.