डा. उत्कर्ष सिन्हा
देश में I.N.D.I.A. गठबंधन भले ही अपने स्वरुप को पाने की कोशिश में लगातार बैठके कर रहा है , लेकिन उत्तर प्रदेश की विधान सभा का एक उपचुनाव अचानक ही I.N.D.I.A. बनाम NDA का एक बड़ा प्रयोग बन चुका है.
घोसी में उपचुनाव सपा विधायक दारा सिंह चौहान के इस्तीफे के कारण खाली हुयी है और दारा सिंह चौहान अब फिर से भाजपा उम्मीदवार के तौर पर यह उप चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरी तरफ PDA का नारा देने के बाद समाजवादी पार्टी ने इस सीट पर राजपूत उम्मीदवार सुधाकर सिंह को मैदान में उतार दिया है. पिछड़ा दलित अल्पसंख्यक की राजनितिक लाईन के बीच एक सवर्ण की उम्मीदवारी घोसी में नए समीकरण बना रही है.
20 22 के विधानसभा चुनावो के बाद यूपी की सियासी गंगा में बहुत पानी बह चुका है, तब के मुकाबले आज कागज़ पर मजबूत जातीय क्षत्रप फिलहाल NDA के खेमे में खड़े हैं, ओमप्रकाश राजभर और संजय निषाद ने यूपी की राजनीति में खुद को प्रासंगिक बनाया हुआ है और वे दोनों इस वक्त भाजपा प्रत्याशी को जिताने के लिए घोसी में डेरा डाले हैं. साथ ही भाजपा के दोनों उप्मुख्य्मंत्रियों समेत दर्जन भर बड़े नेता और मंत्री लगातार दौरे कर रहे हैं. दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यको की बहुलता वाली इस सीट कागज़ पर भाजपा का पलड़ा भारी दिख रहा है.
दूसरी तरफ I.N.D.I.A. गठबंधन के सामने यह पहली परीक्षा है. समाजवादी पार्टी को यह बताना है कि राजभर और चौहान के पाला बदलने के बावजूद उसके वोटबैंक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है. इस उपचुनाव को सपा कितनी गंभीरता से ले रही है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पार्टी में वापसी के बाद शिवपाल यादव ने इस उपचुनाव की पूरी जिम्मेदारी अपने कंधो पर ले ली है और वे लगातार यहाँ कैम्प किये हुए हैं. साथ ही रामगोपाल यादव के लगातार दौरे और अब खुद अखिलेश यादव घोसी में रैली करने जा रहे हैं.
सपा ने यहाँ सवर्ण प्रत्याशी उतार कर बड़ा दांव खेला है . इस इलाके में लम्बे समय से लगातार पिछड़े वर्ग के नेताओं के जीतने के कारण सवर्ण मतदाताओं में एक बेचैनी है , लोकसभा चुनावो में यहाँ से बसपा के अतुल राय की जीत हुयी थी जिन्हें योगी सरकार ने अपनी कड़ी पैरवी के कारण जेल से रिहा नहीं होने दिया है.
घोसी यूपी की उन गिनी चुनी सीटों में से है जहाँ भूमिहार वोट बड़ी संख्या में हैं. अतुल राय के जेल में होने के कारण यह वर्ग सरकार से नाराज भी है. पूर्वांचल में भूमिहार और ब्राहमण वोटर एक दुसरे से करीब रहता है. सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह इलाके के पुराने नेता है और राजपूत जाति से आते हैं . यदि इस बार सुधाकर सिंह ने सवर्ण वोटरों (जिन्हें आप तौर पर भाजपा समर्थक माना जाता है) के बीच सेध लगा दी तो फिर भाजपा के लिए पूर्वांचल में बड़ी दिक्कत शुरू हो जाएगी. वैसे भी भाजपा के पास इस इलाके में कोई बड़ा ब्राह्मण नेता नहीं है.
बीते विधानसभा चुनावो में मुस्लिम प्रताय्शी खड़ा कर बसपा ने 55 हजार वोट पा लिए थे, इस बार बसपा यहाँ नहीं लड़ रही है जिसका फायदा सपा को मिलने की उम्मीद है.
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कांग्रेस के नव नियिक्त अध्यक्ष अजय राय भी भूमिहार जाति से आते है और उन्होंने पद सम्हालने के बाद पहली चिट्ठी घोसी में सपा को समर्थन देने के लिए लिख दी. ऐसा कर के कांग्रेस ने I.N.D.I.A. गठबंधन को अपनी तरफ से मजबूती देने का प्रयास किया है.
राष्ट्रीय लोकदल ने NDA में शामिल होने की खबरे जब तब आती रही है , मगर एक ताजा बयान में पार्टी ने न सिर्फ I.N.D.I.A. गठबंधनको समर्थन देने की बात की है बल्कि यह भी कहा है कि उसके प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय खुद घोसी में कैम्प कर सपा प्रत्याशी के लिए काम करेंगे. रामाशीष राय पूर्वांचल से ही आते हैं और वे भी सवर्ण वोटरों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे.
कुल मिलकर कांग्रेस , रालोद और सपा ने यूपी में न सिर्फ I.N.D.I.A. गठबंधन की एकजुटता दिखाई है बल्कि अपने अपने प्रमुख नेताओं को भी मैदान में उतार दिया है.
घोसी के नतीजे यूपी की राजनीति की दिशा भी बताएँगे. यहाँ I.N.D.I.A. गठबंधन की परीक्षा भी है, ओमप्रकाश राजभर के दावो की भी परीक्षा है और साथ भी भाजपा के मजबूत चुनावी मशीनरी की भी परीक्षा है.
एक उपचुनाव कभी कभी सबसे बड़े चुनाव की प्रयोगशाला कैसे बन जाता है यह इस बार घोसी के घमासान में देखने को मिल रहा है .