- जॉर्ज फ्लॉयड को इंसाफ देने की मांग करते हुए यूरोप के कई देशों में विरोध प्रदर्शन
- वीकएंड में सभी महादेशों में लाखों लोगों ने किया नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन
- सड़कों पर उतरे हजारों लोग, कहा-रंगभेद सिर्फ अमेरिका में नहीं बल्कि दुनिया के हर कोने में है
न्यूज डेस्क
अश्वेत अमेरिकी नागरिक जॉर्ज फ्लॉयड को इंसाफ दिलाने के लिए अमेरिकी में शुरु हुई मांग अब दृूसरे देशों में उठने लगी है। वीकएंड में सभी महादेशों में लाखों लोगों ने नस्लवाद के खिलाफ प्रदर्शन किया है। उनका कहना है कि सिर्फ अमेरिका में ही नस्लीय भेदभाव नहीं होता बल्कि दुनिया के हर कोने में लोगों का इसका सामना करना पड़ता है। भारत में भी सेलेब्रिटी “ब्लैक लाइव्स मैटर” का समर्थन कर रहे हैं।
ब्रिटेन : डवर्ड कोल्सटन की मूर्ति को गिराया
ब्रिटेन के पोर्ट ऑफ ब्रिस्टोल में प्रदर्शनकारियों ने अपने गुस्सा जाहिर करने के लिए 17वीं शताब्दी में गुलामी का व्यापार करने वाले एडवर्ड कोल्सटन की मूर्ति को गिराकर किया। इसके मूर्ति पर उसी तरह घुटने रखकर लोग बैठे, जैसे जॉर्ज फ्लॉयड की मौत हुई थी। आसपास खड़े लोगों ने इस दौरान नारेबाजी की और सोशल मीडिया पर भी यह फोटो खूब शेयर किया गया।
स्पेन : सड़क पर उतरे हजारों लोग
स्पेन के बार्सिलोना और मैड्रिड में हजारों लोग सड़कों पर ‘ ‘Black Lives Matter” की तख्तियां लेकर उतरे। इन लोगों ने शांतिपूर्वक प्रदर्शन किया। इस दौरान पुलिस भी मौजूद रही। प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग तो बमुश्किल देखी गई लेकिन लोगों ने मास्क पहन रखे थे। लोगों का कहना था कि ये प्रदर्शन सिर्फ जार्ज के लिए नहीं हो रहे हैं, स्पेन में रहने वालों को भी रंगभेद का सामना करना पड़ता है।
पेरिस : प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस का इस्तेमाल
कुछ दिन पहले फ्रांस की राजधानी में पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को आंसू गैस का इस्तेमाल कर तितर बितर कर दिया था। सात जून को भी आइफेल टॉवर और अमेरिकी दूतावास के सामने प्रदर्शनों की इजाजत नहीं दी गई थी, फिर भी दस हजार से अधिक लोगों ने प्रदर्शन में हिस्सा लिया। पेरिस के बाहरी इलाकों में रहने वाले काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस हिंसा आम है।
इटली : पीपल्स स्क्वायर पर रैली
रंगभेद के विरोध में इटली की राजधानी रोम के पीपल्स स्क्वायर पर रैली निकाली गई। यह शांतिपूर्ण रैली थी और वहां अधिकतर प्रदर्शनकारियों ने कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए मास्क लगा रखा था। वहां मौजूद लोगों ने भाषण सुने और उन्होंने हाथ से बनी तख्तियां ले रखी थीं, जिन पर लिखा था ”Black Lives Matter’ और ‘It’s a white problem’।
इसके अलावा तूरीन में भी विरोध प्रदर्शन किया गया। रोम और मिलान में हुए प्रदर्शनों में कोरोना महामारी की वजह से हुई तालाबंदी के बाद पहली बार लोग इतनी बड़ी तादाद में एक साथ इकट्ठा हुए। यूरोपीय संघ में सबसे ज्यादा अफ्रीकी आप्रवासी इटली में रहते हैं।
आस्ट्रेलिया : किसी की मौत पुलिस हिरासत में नहीं होनी चाहिए
आस्ट्रेलिया के सिडनी शहर में भी रंगभेद के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। यहां प्रदर्शन की शुरुआत धुआं करने के परंपरागत महोत्सव के साथ हुई। यहां प्रदर्शन में शामिल होने वालों की एकजुटता सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड के साथ नहीं बल्कि देश के अबोरिजिन मूल निवासियों के साथ भी थी। वे भी पुलिस हिंसा के शिकार रहे हैं। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि उनमें से किसी की मौत पुलिस हिरासत में नहीं होनी चाहिए।
दक्षिण अफ्रीका : मुक्का तान कर प्रदर्शन
दक्षिण अफ्रीका की राजधानी प्रिटोरिया में भी रंगभेद के खिलाफ प्रदर्शन हुआ। यहां लोगों ने मुक्का तानकर प्रदर्शन किया। हवा में तना हुआ मुक्का ब्लैक लाइव्स मैटर आंदोलन का प्रतीक चिह्न है, लेकिन यह प्रतीक हाल के आंदोलन से कहीं पुराना है। फरवरी 1990 में जब दक्षिण अफ्रीका की नस्लवादी सरकार ने नस्लवाद विरोधी नेता नेल्सन मंडेला को 27 साल बाद जेल से रिहा किया था, तो वे हवा में मुक्का लहराते जेल से बाहर निकले थे। अभी भी दक्षिण अफ्रीका में गोरी आबादी बेहतर स्थिति में है।
बेल्जियम : प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन
बेल्जियम के कई शहरों में कोरोना के प्रतिबंधों के बावजूद प्रदर्शन हुआ। ब्रसेल्स, अंटवैर्पेन और लिएज शहरों में लोग रंगभेद के खिलाफ सड़कों पर उतरे। कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बेल्जियम का भी औपनिवेशिक शोषण और लोगों को गुलाम बनाने का इतिहास रहा है। आज का डेमोक्रैटिक रिपब्लिक कॉन्गो कभी किंग लियोपोल्ड द्वितीय की निजी संपत्ति हुआ करता था। उनके नाम पर वहां नस्लवादी शासन चलता था।
जर्मनी : रंग बिरंगा बवेरिया
जर्मनी में शनिवार को बड़ा प्रदर्शन हुआ। दक्षिणी प्रांत बवेरिया की राजधानी म्यूनिख में करीब 30,000 लोग नस्लवाद का विरोध करने सड़कों पर उतरे। इसके अलावा कोलोन, फैंक्रफर्ट और हैम्बर्ग में भी प्रदर्शन हुए। राजधानी बर्लिन में प्रदर्शन के लिए जाते लोगों को रोकने के लिए पुलिस ने कुछ समय के लिए सिटी सेंटर में स्थित अलेक्जांडरप्लात्स का रास्ता रोक दिया था। जर्मन राजधानी में प्रदर्शन के सिलसिले में 93 लोगों को हिरासत में लिया गया।
आस्ट्रिया : 50,000 लोगों का विरोध प्रदर्शन
ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में रंगभेद के खिलाफ भारी प्रदर्शन हुआ। शुक्रवार को करीब 50,000 लोगों ने प्रदर्शन किया। ये देश में पिछले सालों में हुए बड़े प्रदर्शनों में एक रहा। यहां स्थानीय पुलिसकर्मी भी प्रदर्शन के समर्थन में दिखे। रिपोर्टरों के अनुसार पुलिस की एक गाड़ी पर भी “ब्लैक लाइव्स मैटर” का नारा लिखा दिखा।
बुल्गारिया : “आई कांट ब्रीद” के लगे नारे
कई दूसरे यूरोपीय देशों की तरह बुल्गारिया में भी सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया। अन्य देशों की तरह यहां दस लोगों से ज्यादा के साथ प्रदर्शन की अनुमति नहीं है, बावजूद इसके नस्लवाद का विरोध करने राजधानी सोफिया में सैकड़ों लोग पहुंचे। वे जॉर्ज फ्लयॉड के कहे कथित तौर पर अंतिम शब्द “आई कांट ब्रीद” के नारे लगा रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने साथ बुल्गारियाई समाज में व्याप्त नस्लवाद की ओर भी ध्यान दिलाया।
पुर्तगाल : बिना अनुमति के निकली रैली
पुर्तगाल की राजधानी लिस्बन में रंगभेद के विरोध में मार्च निकाला गया। प्रदर्शनकारियों ने अपनी तख्ती पर लिख रखा है, “अब कार्रवाई करो। ” हालांकि विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी गई थी, लेकिन पुलिस ने रैली को नहीं रोका। पुर्तगाल में भी काले नागरिकों के खिलाफ पुलिस बर्बरता की घटना अक्सर होती रहती है। जनवरी 2019 में पुलिस ने नस्लवाद विरोधी प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां चलाई थी।
मेक्सिको सिटी : जार्ज और लोपेस
मेक्सिको के लोगों में सिर्फ जॉर्ज फ्लॉयड की मौत का गुस्सा नहीं है बल्कि जोवानी लोपेस के साथ हुए बर्ताव पर भी है। राजमिस्त्री का काम करने वाले लोपेस को मई में पश्चिमी प्रांत खालिस्को में मास्क नहीं पहनने के कारण गिरफ्तार कर लिया गया था। कथित तौर पर पुलिस हिंसा के कारण उनकी मौत हो गई थी। कुछ समय एक वीडियो सामने आने के बाद मेक्सिको के लोगों में आक्रोश है।
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