Wednesday - 30 October 2024 - 6:17 PM

क्या योगी को देशद्रोही बता गए जनरल वी.के. सिंह ? 

जुबिली डेस्क 

बागपत की रैली में राष्ट्रवाद को हवा देने के प्रयास में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ कुछ ऐसा बोल गए हैं , जो उन्हें विवादों में घेर रहा है।  हालाकि योगी के बयानों से उठाने वाले बयान नए नहीं है।  हिंदुत्व पर उनके बयानों ने ही उन्हें वो फायर ब्रांड छवि दी है जिसने उन्हें यूपी का मुख्यमंत्री बना दिया और बीते 3 सालों से योगी राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के स्टार प्रचारक भी बने हुए हैं।

लेकिन इस बार मामला हिंदुत्व का नहीं बल्कि राष्ट्रवाद का है।  बागपत की अपनी चुनावी सभा में योगी ने जब सेना के शौर्य का जिक्र करते हुए उसे “मोदी की सेना” का सम्बोधन दिया तो इस बयान की आलोचना भी खूब हुई।

योगी के बयान पर फ़ौज के पुराने अफसर तो बिफरे ही साथ ही साथ सेना की नौकरी के बाद राजनीति में उतरे भाजपा नेता जनरल वी.के सिंह ने भी इस पर कड़ी टिप्पणी कर दी।

बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में तो वी.के. सिंह ने यहाँ तक कह दिया कि जो सेना के बारे में इस तरह की बात करता है कि  भारत की सेना मोदी जी की सेना है तो वो ग़लत ही नहीं, वो देशद्रोही भी है. भारत की सेनाएं भारत की हैं, ये पॉलिटिकल पार्टी की नहीं हैं।

भारत की थल सेना के कमांडर इन चीफ रह चके जनरल वी.के सिंह ने यह भी कहा कि, ”भारत की सेनाएं तटस्थ हैं अपने आप के अंदर। इस चीज़ में सक्षम हैं कि वो राजनीति से अलग रहें।  पता नहीं कौन ऐसी बात कर रहा है। एक ही दो लोग हैं जिनके मन में ऐसी बातें आती हैं क्योंकि उनके पास तो कुछ और है ही नहीं।

तो क्या वी के सिंह का निशाना मोदी और योगी है ? क्यूंकि अपने चुनावी अभियान में ये दोनों नेता लगातार सेना के शौर्य का जिक्र कर रहे हैं।  हालांकि खुद जनरल सिंह अपने प्रचार में शहीद सैनिको को श्रद्धांजली देते नजर आते हैं।

भारत के निर्वाचन आयोग में भी योगी के इस बयान की जब शिकायत हुई तो आयोग ने योगी आदित्यनाथ को इससे बचने की सलाह दे डाली।  सेना के पराक्रम और सर्जिकल स्ट्राइक को राजनीति  में प्रयोग न करने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं।

योगी के इस बयान का विरोध राजनितिक दलों ने किया ही , सेना के कई पूर्व अधिकारियों ने भी इस तरह के बयानों की निंदा की है।

2014 के लोकसभा चुनावो के वक्त भाजपा ने बड़े पैमाने पर पूर्व सैनिकों का समर्थन जुटाया था।  तब जनरल वी. के. सिंह इस अभियान के अगुवा थे , लेकिन वन रैंक वन पेंशन पर मनमाफिक फैसला न करवा पाने की वजह से पूर्व सैनिको ने जनरल सिंह से दूरी बना ली थी ।

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