न्यूज डेस्क
भारतीय थल सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत आज से रिटायर हो गए हैं। कार्यकाल के आखिरी दिन उन्होंने इंडिया गेट स्थित वॉर मेमोरियल पर जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी। साउथ ब्लॉक में जनरल रावत को ‘गार्ड ऑफ ऑनर’ दिया गया।
देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ
जनरल रावत आज ही देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) का पदभार संभालेंगे। CDS के तौर पर जनरल बिपिन रावत थलसेना, वायुसेना और नौसेना के साथ-साथ रक्षा मंत्रालय व पीएम के नेतृत्व वाले न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के सलाहकार के तौर पर भूमिका निभाएंगे।
सरकार द्वारा नियमों में संशोधन करके रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाकर 65 वर्ष करने के बाद जनरल रावत तीन साल के लिए सीडीएस के तौर सेवाएं दे सकेंगे। सुरक्षा मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने पिछले मंगलवार को सीडीएस का पद बनाए जाने को मंजूरी दी थी, जो तीनों सेनाओं से जुड़े सभी मामलों में रक्षा मंत्री के प्रधान सैन्य सलाहकार के तौर पर काम करेगा।
Chief of Defence Staff General Bipin Rawat: Today as I demit the office of Chief of Army staff, I wish to convey my gratitude to the soldiers, rank and file of Indian Army who have stood steadfast under challenging circumstances. pic.twitter.com/txDQNBgXbw
— ANI (@ANI) December 31, 2019
जनरल रावत के सेनाध्यक्ष पद से रिटायर होने के बाद लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरावने देश के नए सेना प्रमुख होंगे। बिपिन रावत ने कहा, ‘चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ सिर्फ एक पद है। ये ओहदा तभी बढ़ता है जब वह चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ बनता है, सभी जवानों के साथ आने से ही सफलता मिलती है।’
मनोज मुकुंद नए सेना प्रमुख
जनरल रावत ने कहा, ‘मुझे नहीं पता था कि मैं चीफ ऑफ आर्मी डिफेंस बनूंगा। अभी तक मैं आर्मी चीफ के तौर पर ही काम कर रहा था। अपने कार्यकाल में सेना का आधुनिकिकरण करना मेरा एक बड़ा कदम था। मुझे पूरी उम्मीद है कि मनोज मुकुंद देश की सेना को और आगे ले जाएंगे।’
करगिल युद्ध के बाद उठी थी मांग
करगिल युद्ध के बाद से ही तीनों सेनाओं के बीच तालमेल बिठाने के लिए इस पद के गठन की मांग उठी थी। पीएम नरेंद्र मोदी ने इस साल 15 अगस्त को लालकिले से इसके गठन की घोषणा भी की थी। करीब चार महीने की लंबी प्रक्रिया के बाद जनरल रावत CDS बनाने का फैसला किया गया।
CDS के पास कितनी ताकत?
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कैबिनेट द्वारा 24 दिसंबर को स्वीकृत किया गया CDS का चार्टर काफी व्यापक है। अगर इसे पूरी तरीके से लागू किया जाए तो यह तीनों सेनाओं के बीच बेहतरीन समन्वय को अंजाम दे सकता है क्योंकि कई बार सैन्य बजट में हिस्सेदारी के लिए तीनों सेनाओं के बीच खींचतान भी चलती है।
इसके अलावा CDS हथियार खरीद के लिए इंटर सर्विस की प्राथमिकताओं के आधार पर कोई फैसला कर सकता है। CDS इसके अलावा सरकार को सिंगल पॉइंट मिलिटरी अडवाइस भी दे सकता है। इसके अलावा वह पीएम के नेतृत्व वाले न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी के सलाहकार की भी भूमिका निभाएगा।