न्यूज डेस्क
चालू वित्त वर्ष के दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगा है। जुलाई- सितंबर माह के लिए सकल घरलू उत्पाद यानी जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 4.5 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। इसको लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने मोदी सरकार पर हमला बोला है।
प्रियंका गांधी शनिवार को ट्वीट कर इस मुद्दे को लेकर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा। प्रियंका ने ट्वीट करते हुए लिखा, वादा तेरा वादा… दो करोड़ रोजगार हर साल, फसल का दोगुना दाम, अच्छे दिन आएंगे, मेक इन इंडिया होगा, अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन होगी… क्या किसी वादे पर हिसाब मिलेगा?
गौरतलब है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी इससे पहले भी कई मुद्दों को लेकर वह केंद्र सरकार की आलोचना करती रही हैं।
प्रियंका गांधी ने आगे लिखा कि आज जीडीपी ग्रोथ 4.5 फीसदी हो गई है। जो दिखाता है सारे वादे झूठे हैं और तरक्की की चाह रखने वाले भारत और उसकी अर्थव्यवस्था को भाजपा सरकार ने अपनी नाकामी के चलते बर्बाद कर दिया है।
…और तरक्की की चाह रखने वाले भारत और उसकी अर्थव्यवस्था को भाजपा सरकार ने अपनी नाकामी के चलते बर्बाद कर दिया है। 2/2
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) November 30, 2019
मालूम हो कि जुलाई- सितंबर माह के लिए सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी ग्रोथ रेट घटकर 4.5 प्रतिशत के स्तर पर आ गया है। इसके पहले की तिमाही में यह जीडीपी दर 5 प्रतिशत के स्तर पर था। यह पिछली 26 तिमाही में सबसे कम है।
गौरतलब है कि पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7 प्रतिशत दर्ज की गई थी। सितंबर तिमाही के लिए ग्रॉस वैल्यू एडेड यानी जीवीए भी घटकर 4.3 प्रतिशत के स्तर पर था। पहली तिमाही में यह 4.9 प्रतिशत के स्तर पर था। एक साल पहले समान अवधि में यह 6.9 प्रतिशत था।
एक सर्वे में पता चला है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 4.7 फीसदी पर आ सकती है। सर्वे के अनुसार, वैश्विक मंदी ने भारत के निर्यात पर काफी असर डाला है। जून तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रही थी, लेकिन सितंबर तिमाही में यह पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कमजोर रह सकती है।
2018 की समान तिमाही में यह सात फीसदी रही थी। सरकार सूत्रों के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि सितंबर तिमाही में विकास दर चार फीसदी से भी नीचे जा सकती है। इससे पहले जनवरी- मार्च 2013 में विकास दर 4.3 फीसदी रही थी।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री दिवेंद्र पंत का कहना है कि उपभोक्ता खपत में गिरावट की वजह से शहरी क्षेत्र की विकास दर काफी सुस्त हो सकती है, जिसे त्योहारी सीजन में भी पर्याप्त ग्राहक नहीं मिल सके हैं।
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