न्यूज डेस्क
कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए पीएम नरेंद्र मोदी ने 21 दिनों का लॉक डाउन पूरे देश में लागू किया है। इस वजह से पहले से ही खराब स्थिति में दिख रही देश की इकोनॉमी बुरी तरह लड़खड़ा गई है। लॉकडाउन के दौरान पूरे देश में बंदी कर दी गई है, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि इकोनॉमी को 9 लाख करोड़ से अधिक का नुकसान हो सकता है।
साथ ही इस माहौल की वजह से चालू वित्त वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 6 फीसदी से अधिक हो सकता है। ये अनुमान अमेरिकी रेटिंग कंपनी फिच सोल्यूशंस का है। फिच के मुताबिक भारत का राजकोषीय घाटा 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.2 फीसदी तक जा सकता है। जबकि सरकार ने इसके 3.5 फीसदी रहने का अनुमान जताया है।
एजेंसी ने कहा, हम भारत के लिए राजकोषीय घाटे का अनुमान वित्त वर्ष 2020-21 में संशांधित कर जीडीपी का 6.2 फीसदी कर रहे हैं जबकि पूर्व में हमने इसके 3.8 फीसदी रहने का अनुमान जताया था। यह बताता है कि सरकार अपने 3.5 फीसदी लक्ष्य से चूकेगी।
रिपोर्ट के अनुसार कमजोर आर्थिक गतिविधियों से 2020-21 में राजस्व संग्रह में एक फीसदी की गिरावट आ सकती है जबकि पूर्व में इसमें 11.8 फीसदी की वृद्धि हुई थी। एजेंसी ने कहा, वित्त वर्ष 2020-21 के लिए वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 4.6 रहने का अनुमान है,
जबकि पूर्व में इसके 5.4 फीसदी रहने की संभावना जतायी गयी थी। हमने 2019-20 में 4.9 फीसदी आर्थिक वृद्धि अनुमान के जरिये जो नरमी की बात कही थी, वह सही लग रही है। इसका कारण घरेलू आवाजाही बाधित होने से आर्थिक गतिविधियां ठप होना और कमजोर वैश्विक मांग है।
फिच ने कहा, वायरस के कारण आर्थिक गतिविधियां कई तिमाही तक प्रभावित होने की आशंका है इससे व्यक्तिगत और कंपनी आयकर संग्रह पर पूरे साल के दौरान असर दिखेगा।
साथ ही दूसरी तरफ 2020-21 में व्यय बढ़ेगा क्योंकि सरकार कोरोना वायरस संकट को देखते हुए आर्थिक और सामाजिक दोनों मोर्चों पर कदम उठा रही है। फिच ने आगे कहा कि हमारा अनुमान है, कम राजस्व संग्रह के बावजूद व्यय 22.2 फीसदी बढ़ेगा।