जुबिली स्पेशल डेस्क
चीन से निकला कोरोना वायरस लगातार भारत में तबाही मचा रहा है। आलम तो यह है कि कोरोना की वजह से भारत को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इतना ही नहीं लोगों के रोजगार पर संकट गहराता जा रहा है। सरकार भले ही इस संकट से बाहर निकलने का दावा कर रही है लेकिन आम आदमी जहां कोरोना से डरा हुआ है साथ में उसकी रोजी-रोटी भी खत्म होती दिख रही है।
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कोरोना के बीच कई उद्योग-धंधे बंद हो गए है जो चल भी रहे वो भी अंतिम सांसे गिन रहे हैं। बेरोजगारी के आंकड़े कोरोना काल में इतने बढ़ गए है कि उसे बताया भी नहीं जा सकता है।
कोरोना संकट के बीच वित्त वर्ष की पहली तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद को भी तगड़ा झटका लगा है। दरअसल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 23.9 फीसदी की ऐतिहासिक गिरावट दर्ज की गई।
इस वजह से मोदी सरकार की परेशानी बढ़ सकती है। इसके पीछे कोरोना का बड़ हाथ होने की बात कही जा रही है। जून तिमाही में दो महीने यानी अप्रैल और मई में लॉकडाउन की वजह से अर्थव्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी थी।
हालांकि जून में थोड़े हालात जरूर बदले थे लेकिन ये काफी नहीं थे। ऐसे में ये पहले से कहा जा रहा था कि जून तिमाही के जीडीपी में 16 से 25 फीसदी की गिरावट आ सकती है।
सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय ने वित्त वर्ष 2020-21 की अप्रैल से जून तिमाही के लिए जीडीपी के आंकड़े जारी कर दिये हैं। इन आंकड़ों को देखकर निराशा होना स्वाभाविक है।
मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार
- जुलाई महीने में आठ इंडस्ट्री के उत्पादन में 9.6 फीसदी की गिरावट आई है
- पहली तिमाही में स्थिर कीमतों पर यानी रियल जीडीपी 26.90 लाख करोड़ रुपये की रही है
- जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में यह 35.35 लाख करोड़ रुपये की थी
- इस तरह इसमें 23.9 फीसदी की गिरावट आई है
- पिछले साल इस दौरान जीडीपी में 5.2 फीसदी की बढ़त हुई थी