- रामवन : जहां रमेंगे जोगी, जंगम और स्थावर
- रामनगरी के जुनूनी पर्यावरण कार्यकर्त्ताओं ने तैयार की संकल्पना
- सरयू तट पर 15000 वृक्षों का उपवन विकसित करेंगे कार्यकर्त्ता
ओम प्रकाश सिंह
अयोध्या के जुनूनी पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने एक ऐसे उपवन की संकल्पना तैयार की है जहां जीव-जंतु, साधु-संत और आम जन सब स्थावर (वृक्षों) की संगत का आनंद लेंगे। यहां एक साथ जोगी, जंगम और स्थावर रम जाएंगे। पुण्य सलिला सरयू इस वन को स्पर्श कर पुलकित होगी, और उसका वेग बढ़ जाएगा। सरयू के तट पर प्रस्तावित इस उपवन का नाम रामवन होगा।
पर्यावरण के प्रति अपने जुनून को लेकर वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध ओमप्रकाश सिंह सरयू के किनारे एक उपवन विकसित करने की तैयारी कर रहे हैं।
भगवान राम के नाम पर विकसित किया जाने वाला यह उपवन सरयू के तट पर तैयार किया जाएगा। इस वन में विभिन्न प्रजातियों के 15000 वृक्ष लगाए जाएंगे। वृक्षों की प्रजातियों का चयन यह ध्यान में रखकर किया जाएगा जिससे कि नदी का वेटलैंड और संपन्न हो सके।
ओम प्रकाश सिंह ने अपनी योजना के बारे में बताया कि उन्होंने वन मंत्री व मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर भूमि आवंटित करने की मांग की है। इसके बाद वह अपने साथी कार्यकर्ताओं के सहयोग से वृहद पौधारोपण अभियान चलाकर यह वन तैयार करेंगे।
उनकी इस योजना में पर्यटन विशेषज्ञ व अवध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित, गुरुकल बहराइच के संस्थापक डॉ. अरुण प्रकाश व पर्यावरण प्रेमी रवि ज्ञानप्रकाश चौधरी शामिल हैं।
श्री सिंह ने बताया कि वन में विभिन्न जीवों के पर्यावास विकसित किए जाएंगे। इस वन के विकसित होने से न सिर्फ सरयू की निर्मलता व प्रवाह सुनिश्चित होगा बल्कि अयोध्या की सुंदरता में अपूर्व वृद्धि होगी। साथ ही यह वन पर्यटकों को भी आकर्षित करेगा।
उनका कहना है कि अयोध्या की प्राचीन नगर योजना में उपवनों की सम्मानीय स्थिति थी। सरयू के तट पर सुरम्य वन थे। यह वन साधु संतों की साधना स्थली के साथ ही लाखों जीवों के आश्रय दाता भी थे। वनों के उजड़ने से वह जीव या तो विलुप्त हो गए या नगरों में अपने जीवन को लेकर संघर्ष कर रहे हैं।
श्री सिंह कहते हैं कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अयोध्या के प्राचीन गौरव को लौटाने की प्रतिबद्धता ने उन्हें प्रेरित किया है, थोड़ी सी सेवा एक विशाल वन विकसित करना चाहते हैं।