जुबिली न्यूज डेस्क
तालाबंदी से पहले तक बच्चों को हर वक्त नसीहत दी जाती थी कि फोन व कम्प्यूटर से दूर रहो, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। कोरोना ने ऐसा माहौल बदला की स्कूलों की पढ़ाई के चलते अभिभावक खुद ही बच्चों के हाथों में मोबाइल देने को मजबूर हुए। अब आलम यह है कि बच्चे पढ़ाई कम गेम ज्यादा खेल रहे हैं जिसकी वजह से अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है।
अभिभावक की चिंता को ऐसे समझा जा सकता है कि वे इसकी शिकायत राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग से भी कर चुके हैं और आयोग ने भी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को नोटिस जारी किया है।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) से अभिभावकों ने शिकायत की थी कि ऑनलाइन गेमिंग साइट्स बच्चों में जुआ, सट्टेबाजी और शोषण की प्रवृत्ति को बढ़ावा दे रही हैं। अभिभावकों की शिकायतों पर एनसीपीसीआर ने ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को नोटिस जारी किया है। आयोग ने माईटीम11, ड्रीम 11, प्ले गेम 24 इनटू 7 आदि कंपनियों से इस मामले में जवाब मांगा है।
आयोग ने गेमिंग साइट्स से बच्चों के भ्रमित होने से रोकने के लिए दिशा निर्देशों के बारे में पूछा है साथ ही यह भी सवाल किया है कि उनकी साइट्स पर बाल अधिकारों के हनन को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।
आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के अनुसार, “गेमिंग कंपनियां बच्चों को लुभाकर साइट्स पर अपने माता-पिता के पैसे खर्च करवाती हैं। बच्चों में जुआ और सट्टेबाजी की लत लग रही है।”
कानूनगो का कहना है कि यह पूरी तरह से आपराधिक मामला है और कंपनियों से आयोग ने 10 दिनों के भीतर जवाब मांगा है। फिलहाल गेमिंग कंपनियों ने आयोग के इन आरोपों पर अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
ये भी पढ़ें: सावधान! यूपी समेत 9 राज्यों में बर्ड फ्लू.. पक्षियों के संपर्क में आने से बचें
ये भी पढ़ें: ओली ने भारत के खिलाफ फिर उगला जहर
ये भी पढ़ें: …तो इसलिए हिंदू महासभा ने गोडसे के नाम पर शुरु की लाइब्रेरी
भारत का गेमिंग बाजार
देश में इन दिनों क्रिकेट से जुड़े कई फैंटसी ऐप सक्रिय हैं। ऐप पर प्वाइंट हासिल कर लोग पैसे भी कमा रहे हैं। महामारी के दौरान इस तरह के ऐप और भी अधिक लोकप्रिय हुए हैं, क्योंकि लोगों के पास बाहर जाने का विकल्प नहीं था और वे पूरा समय घर पर ही रहते थे।
एक अनुमान के मुताबिक देश के करीब 10 करोड़ गेमरों में से सिर्फ 20 प्रतिशत फैंटसी प्लेटफॉर्मों पर पैसे दे कर खेलते हैं, जबकि बाकी मुफ्त खेलों तक ही सीमित रहते हैं।
यूजर को गेमिंग साइट्स पर दाखिल होने के लिए बेहद छोटी रकम देनी होती है। फैंटसी गेम सिर्फ क्रिकेट तक ही सीमित नहीं है, इसमें फुटबॉल और एनबीए भी शामिल है।
दरअसल देश में सट्टा गैरकानूनी है लेकिन इन गेमिंग साइट्स पर खिलाडिय़ों को अपना “कौशल” दिखाना होता है और उसके बदले वे पैसे बना सकते हैं।
डाटा प्लेटफॉर्म स्टैटिस्टा के अनुसार सस्ते स्मार्ट फोन और सस्ता डाटा की वजह से 2025 तक भारत में इंटरनेट यूजरों की संख्या 70 करोड़ से बढ़कर 97.5 करोड़ तक हो जाएगी।
ये भी पढ़ें: ट्रप को जल्द से जल्द राष्ट्रपति पद से हटाने की मांग
ये भी पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट की दो टूक, सरकार कृषि क़ानून वापस ले वर्ना हम रोकेंगे