मेरी सांसों में रूबरू हो जा..
मेरे जीने की आरज़ू हो जा…!
हर तरफ तू ही तू दिखाई दे..
हर तरफ सिर्फ तू ही तू हो जा…!
एक दूजे के दोनों हो जाये..
मैं तेरी और मेरा तू हो जा…!
जो अभी तक न हो सका कोई..
मेरी मेहबूब वो ही तू हो जा…!
खुद को देखूं तो तुझको पा जाऊँ..
आईना बन के चार सूं हो जा…!
मेरी खामोशियाँ पिघल जाये..
वो महोब्बत की गुफ़्तगू हो जा…!
इसके पहले मैं खत्म हो जाऊँ..
ऐ मेरी ज़िन्दगी शुरू हो जा…!
बारगाहे सनम में जाना है..
ऐ तरू तू भी बा-वज़ू हो जा…!!
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इनायत मुझपे यारा कर के देखो
मेरी उल्फ़त गवारा कर के देखो
नशा मुश्किल उतरना इश्क़ का है
मुहब्बत से उतारा कर के देखो
वो बह कर दूर हो जायेगा तुमसे
घड़ी भर को किनारा कर के देखो
सहन की हद मेरी जो देखना है
वही गलती दुबारा कर के देखो
गलाते ही नहीं आँखों को आसूँ
इन्हें कुछ और खारा कर के देखो
बिगड़ते जा रहे बंदे ख़ुदाया
बशर को फिर से गारा कर के देखो
किसी दिन थाम लेगा वो भी तुमको
किसी दिन तुम सहारा कर के देखो
बढ़ा रख्खा दिलों में बोझ कितना
चलो ख़ाली पिटारा कर के देखो
मज़ा देगा सफ़र मन्ज़िल का तरू
तमन्नाएं सितारा कर के देखो।
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