प्रो. अशोक कुमार
भविष्य में उच्च शिक्षा का स्वरूप तेजी से बदल रहा है। तकनीकी प्रगति, वैश्वीकरण और बदलती आर्थिक परिस्थितियों ने उच्च शिक्षा के पारंपरिक ढांचे को चुनौती दी है। आइए, कुछ संभावित बदलावों पर नजर डालते हैं:
1. अधिक व्यक्तिगत और अनुकूलित शिक्षा
• व्यक्तिगत सीखने के पथ: प्रत्येक छात्र की अपनी गति और रुचि होगी। तकनीक के माध्यम से व्यक्तिगत सीखने के पथ तैयार किए जाएंगे।
• अनुकूलित पाठ्यक्रम: छात्रों को अपनी आवश्यकताओं के अनुसार पाठ्यक्रम चुनने की स्वतंत्रता होगी।
• कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग: AI छात्रों की कमजोरियों और ताकतों का विश्लेषण करके व्यक्तिगत शिक्षण योजनाएं बनाएगी।
2. ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा का मिश्रण
• हाइब्रिड मॉडल: ऑनलाइन और ऑफलाइन शिक्षा का मिश्रण छात्रों को अधिक लचीलापन प्रदान करेगा।
• वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR): ये तकनीकें सीखने के अनुभव को अधिक इमर्सिव और रोमांचक बनाएंगी।
3. कौशल विकास पर अधिक ध्यान
• नौकरी बाजार की मांग: उच्च शिक्षा का फोकस कौशल विकास पर होगा जो वर्तमान और भविष्य के नौकरी बाजार की मांगों को पूरा करता हो।
• प्रायोगिक सीखना: छात्रों को वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा।
• इंटर्नशिप और सहयोग: उद्योगों के साथ सहयोग से छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्राप्त होगा।
4. जीवन भर सीखना
• निरंतर शिक्षा: उच्च शिक्षा एक बार की घटना नहीं रहेगी, बल्कि जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया होगी।
• मॉड्यूलर डिग्री: छात्र अपनी योग्यता को समय के साथ बढ़ा सकते हैं।
• ओपन यूनिवर्सिटीज: हर कोई, कहीं से भी, किसी भी समय सीख सकता है।
5. अंतरराष्ट्रीयकरण
• वैश्विक परिप्रेक्ष्य: उच्च शिक्षा अधिक वैश्विक होगी, जिससे छात्रों को विभिन्न संस्कृतियों और विचारों के संपर्क में आने का मौका मिलेगा।
• ऑनलाइन विश्वविद्यालय: भौगोलिक सीमाओं को पार करके दुनिया भर के छात्र एक साथ सीख सकते हैं।
निष्कर्ष
भविष्य में उच्च शिक्षा अधिक व्यक्तिगत, लचीली, कौशल-आधारित और वैश्विक होगी। तकनीक इस परिवर्तन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, लेकिन मानवीय संपर्क और शिक्षकों की भूमिका भी महत्वपूर्ण बनी रहेगी।
(पूर्व कुलपति कानपुर, गोरखपुर विश्वविद्यालय , विभागाध्यक्ष राजस्थान विश्वविद्यालय)