न्यूज डेस्क
ईरान के सबसे ताकतवर जनरल कासिम सुलेमानी की अमेरिकी हमले में मौत के बाद अमेरिका और ईरान के बीच जारी जुबानी जंग के बीच युद्ध जैसे हालात पैदा हो रहे हैं। सुलेमानी की मौत के बाद से ही मिडिल ईस्ट में तनाव साफतौर पर महसूस किया जा रहा है।
वहीं अमेरिका की इस कार्रवाई से इराक भी कहीं न कहीं सहमा हुआ है। इराक को लगने लगा है कि बिना उसकी इजाजत के अमेरिका द्वारा की गई ये कार्रवाई उसके देश को खतरे में डाल सकती है। यही वजह थी कि सुलेमानी की मौत के बाद बुलाए गए संसद के विशेष सत्र में इराक के आउटगोइंग पीएम अब्दुल मेंहदी ने देश में मौजूद विदेशी सेना को बाहर करने का प्रस्ताव सदन में रखा।
इराक के प्रधानमंत्रीद अब्दुल मेहदी ने सुलेमानी की मौत को राजनीतिक हत्या करार देते हुए कहा कि अमेरिकी फौज को इराक में किसी भी तरह का मिलिट्री एक्शन लेने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारे देश में विदेशी फौज हमें सुरक्षा देने के लिए रखी गई है न कि उन्हें सुरक्षित करने के लिए।
पीएम मेहदी ने संसद में कहा कि इराक की मदद के नाम पर अमेरिका द्वारा कासिम और मुहेदी की हत्या को इराक किसी भी सूरत से कुबूल नहीं कर सकता है। इराक की संप्रभुता को बरकरार रखना उसकी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। अमेरिका से दोस्ती इराक की संप्रभुता को ताक पर रखकर नहीं हो सकती है।
अपने आखिरी भाषण में आउटगोइंग प्रधानमंत्री ने कहा कि इराक को सुरक्षित और खुशहाल रखने के लिए जरूरी है कि देश में मौजूद विदेशी सेना को यहां से बाहर कर दिया जाए। यही सबसे बेहतर उपाय भी है। उम्मीद जताते हुए उन्होंने कहा कि इराक की आने वाली सरकार इराक की बेहतरी के लिए काम करेगी।
उल्लेखनीय है कि बगदाद में करीब 5000 अमेरिकी जवानों के अलावा कुछ मित्र देशों के भी जवान इराक में मौजूद हैं। सुलेमानी की हत्या के बाद जो माहौल बदला है उसमें अमेरिका ने इराकी जवानों को ट्रेनिंग देने का प्रोग्राम फिलहाल रोक दिया है।
हिजबुल्लाह की अमेरिका को धमकी
वहींं दूसरी ओर अमेरिका की इस कार्रवाई के खिलाफ बेरूत में हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह ने सभी को एकजुट होने और अमेरिकी ठिकानों पर हमला करने को कहा है। उन्होंने कहा कि कासिम सुलेमानी की निर्मम हत्या कर अमेरिका खुद को शाबाशी दे रहा है, लेकिन इसका खामियाजा उन्हें उठाना होगा।
हसन ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने बड़े खुश होकर ये कहा कि कासिम को मारने का आदेश उन्होंने ही दिया था। इस हत्या और जघन्य कार्रवाई ने पूरे क्षेत्र को खतरे में डाल दिया है। ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप को दुनिया की और दूसरे लोगों की कोई चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि कासिम सुलेमानी मरे नहीं बल्कि अपनी राह में शहीद हुए हैं। उनकी कुर्बानी बेकार नहीं जाएगी।
यह भी पढ़ें : क्यों शेयर हो रहा है अमित शाह का पुराना बयान
यह भी पढ़ें : JNU विवाद: AMU में तिरंगा यात्रा का ऐलान, विपक्ष हमलावर
अपनी जीत के लिए कुछ भी कर सकता है ट्रंप
हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह ने कहा कि अमेरिका में चुनाव होने वाले हैं। ट्रंप अपनी जीत के लिए कुछ भी कर सकता है। उन्होंने कहा कि दरअसल ट्रंप ईरान समेत मिडिल ईस्ट के देशों पर कब्जा करना चाहता है। यही वजह है कि वो सीरिया समेत दूसरे मध्य पूर्व में आतंक मचाए हुए है। ईरान पर दबाव बढ़ाने के लिए ही अमेरिका परमाणु संधि से पीछे हटा था।
उन्होंने कहा कि ट्रंप ने इस स्ट्राइक के पीछे जो वजह बताई है वह पूरी तरह से झूठ है। यमन में शुरू की गई लड़ाई अमेरिका का एक प्रोजेक्टं है। मध्य पूर्व में शुरू की गई उसकी जंग केवल तेल के लिए है। हसन ने यहां तक कहा है कि कासिम की हत्या का बदला लेने के लिए सभी एकजुट होकर अमेरिकी ठिकानों पर हमलें करें।
ईरान की जवाबी कार्रवाई और अमेरिका का जवाब
गौरतलब है कि कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद मध्य पूर्व में जो तनाव फैला है उससे पूरी दुनिया सहमी हुई है। सुलेमानी की हत्या के बाद ईरान ने बदला लेने की धमकी दी थी, उसके तहत उसने कई अमेरिकी ठिकानों पर हमला भी किया। इसके जवाब में राष्टï्रपति ट्रंप ने कहा है कि ईरान अपनी हरकतों से बाज आए, उसके 52 ठिकाने अमेरिका के निशाने पर हैं।
वहीं सुलेमानी की हत्या के बाद ईरानियों में जबरदस्त गुस्सा है। यही वजह है कि कासिम और अबू की अंतिम यात्रा में हजारों की तादाद में लोग शामिल हुए थे जिन्होंने अमेरिकी विरोधी नारे भी लगाए थे। कासिम की बेटी ने एक चैनल से बात करते हुए कहा कि उन्हें अपने पिता की शहादत पर गर्व है।
यह भी पढ़ें : उद्धव सरकार को कौन चला रहा है
यह भी पढ़ें :JNU हिंसा: क्राइम ब्रांच करेगी मामले की जांच, यूपी में अलर्ट