न्यूज़ डेस्क
दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन ग्लेशियर में हुए हिमस्खलन में सेना के चार जवान शहीद हो गए। इसके साथ ही बर्फ में दबने से दो नागरिकों की भी मौत हो गई। जबकि कई घायल भी हो गये। इस तूफान से जवानों के शहीद होने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह दुख जताया और पीड़ित परिवारों के प्रति शोक संवेदना अर्पित की है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि सियाचिन में हिमस्खलन की वजह से जवानों के शहीद होने से गहरा दुख हुआ। मैं उनके साहस और राष्ट्र की सेवा को सलाम करता हूं। साथ ही उनके परिवारों के प्रति मेरी संवेदना हैं।
Deeply pained by the demise of soldiers and porters due to avalanche in Siachen. I salute their courage and service to the nation. My heartfelt condolences to their families.
— Rajnath Singh (@rajnathsingh) November 19, 2019
वहीं, सेना के अधिकारियों का कहना है कि जिस इलाके में तूफान की यह घटना हुई वो जगह 19,000 फीट से ज्यादा की ऊंचाई पर हुई है। घटना करीब 3.30 बजे की है। उस समय आठ सदस्यों की पेट्रोलिंग टीम तूफान में फंसी हुई थी। इनमें सात जवान बुरी तरह से घायल हो गये जिन्हें इलाज के लिए हेलिकॉप्टर से पास के हॉस्पिटल में भेजा गया। इलाज के दौरान ही छह लोगों की मौत हो गई।
Indian Army: All 8 personnel were pulled out of avalanche debris. 7 individuals who were critically injured, accompanied by medical teams were evacuated by helicopters to nearest Military Hospital. 6 casualties; 4 soldiers&2 civilian porters, succumbed to extreme hypothermia. https://t.co/804CNyS720
— ANI (@ANI) November 18, 2019
मृतको में चार सैनिक और दो कुली थे। इन सभी की मौत जबरदस्त हाइपोथर्मिया के चलते हुई। हाइपोथर्मिया (अल्पताप) शरीर की वह स्थिति होती है जिसमें तापमान, सामान्य से कम हो जाता है।
बता दें कि इससे पहले साल 2016 में हिमस्खलन की घटना हुई थी। इसमें भारतीय सेना के दस जवान दुनिया के सबसे ऊंचे लड़ाई के मैदान सियाचिन में शहीद हो गये थे। इन्हीं जवानों में लांस नायक हनुमंथप्पा भी थे।