Friday - 25 October 2024 - 5:07 PM

जातियों में उलझी UP की राजनीति में क्यों बड़ा नाम था बेनी प्रसाद

स्पेशल डेस्क

लखनऊ। पूर्व केंद्रीय मंत्री और सपा के बड़े नेताओं में शुमार बेनी प्रसाद वर्मा ने दुनिया को अलविदा कह दिया है। बेनी प्रसाद वर्मा का लंबी बीमारी के चलते शुक्रवार को लखनऊ में निधन हो गया है।

काफी समय से बेनी प्रसाद वर्मा बीमार चल रहे थे। सपा से बेनी प्रसाद वर्मा राज्यसभा से सांसद थे। बेनी प्रसाद वर्मा को यूपी में कुर्मी समाज का बड़ा नेता माना जाता था।

इतना ही नहीं यूपीए सरकार में इस्पात मंत्री रह चुके है। उनके निधन की सूचना से सपा में शोक की लहर है। दरअसल यूपी की राजनीति जातियों के समीकरण में उलझी रही है।

ऐसे में समाजवादी पार्टी को कुर्मी नेता के रूप में बेनी प्रसाद वर्मा ने नई पहचान दी। उत्तर प्रदेश की राजनीति जातीय समीकरण के आधार पर लड़ी जाती रही है। इस वजह से बेनी प्रसाद वर्मा का सपा में कद बड़ा माना जाता था क्योंकि वो लम्बे समय से कुर्मी नेता के रूप में जाने जाते थे।

कुर्मी नेता के रूप बेनी प्रसाद वर्मा का अपना वोट बैंक था। हालांकि उनका सियासी सफर बेहद शानदार रहा है। बेनी प्रसाद वर्मा अक्सर अपने बयानों की वजह से सुर्खियों में रहे थे।

बेनीप्रसाद वर्मा का जन्म यूपी के बाराबंकी जिले सिरौली गांव में 11 फरवरी 1941 को उनके पिता का नाम मोहनलाल वर्मा तथा माता रामकली वर्मा था।

1956 में मालती देवी से उनकी शादी हुई और तीन पुत्र व दो पुत्रियां हैं। प्रारंभिक शिक्षा बाराबंकी से ही पूरी हुई। इसके बाद वे लखनऊ आ गए, जहां लखनऊ विश्वविद्यालय से बीए और एलएलबी की पढ़ाई पूरी की।

बेनी प्रसाद के राजनीतिक जीवन की शुरुआत साल 1974 में तब हुई जब उन्होंने दरियाबाद विधानसभा के चुनाव में जीत दर्ज की थी। उनके राजीतिक आने का पूरा श्रेय समाजवादी चिंतक रामसेवक यादव को जाता है।

लंबे समय तक यूपी राज्य में पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट मंत्री के रूप में कार्य करते रहे। विधानसभा के बाद उन्होंने केंद्र राजनीति में कदम रखा और 1992 में उत्तर प्रदेश के कैसरगंज से लोकसभा का चुनाव जीतकर राजनीति में अपना अलग मुकाम बनाया।

इस जीत के साथ के साथ उन्हें कैबिनेट मंत्री भी बनाया गया। बता दें कि सपा के संस्थापक सदस्य रहे हैं लेकिन उन्होंने 1999 में सपा छोड़ दी थी और जनता दल में शामिल हो गए थे। इसके बाद गोंडा से कांग्रेस के टिकट गोंंडा का प्रतिनिधित्व किया और इस्पात मंत्री बने।

राजनीतिक सफर पर एक नजर

  • इससे पहले 1996 में वे संचार के स्वतंत्र राज्यमंत्री बने।
  • इसी वर्ष संसदीय कार्य के राज्यमंत्री भी बने
  • 1996 में ही हुए लोकसभा चुनाव में वे फिर जीते।
  • 1998 में उत्तरप्रदेश सपा पार्टी के प्रमुख सदस्य बने।
  • 1996 से 1998 तक देवगौड़ा मंत्रिमंडल में केंद्रीय संचार मंत्री के पद पर रहे।
  • 1998 में ही वे उत्तरप्रदेश सरकार में पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट तथा संसदीय कार्य मंत्री बने।
  • बेनी प्रसाद वर्मा ने अपने निर्वाचन क्षेत्र से 1998, 1999 और 2004 में पुन: जीत दर्ज की।
  • 2004 में उत्तरप्रदेश सरकार में पब्लिक वर्क डिपार्टमेंट, एक्साइज तथा संसदीय बोर्ड के मंत्री बने।
  • 2007 में जनता पार्टी के जनरल सेक्रेटरी बने।
  • 2006 में वे लोकदल के उपनेता बने और 2009 में भारतीय लोकदल के जनरल सेक्रेटरी नियुक्त हुए।
  • इसी दौरान वे जेल, केन डेवलपमेंट तथा चीनी उद्योग मंत्री बने।
  • 2009 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के टिकट पर उप्र के गोंडा निर्वाचन क्षेत्र से पुन: निर्वाचित हुए और 12 जुलाई 2011 को मनमोहन सिंह सरकार में इस्पात मंत्री बनाए गए।
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