मल्लिका दूबे
गोरखपुर। गोरखपुर जिले की सुरक्षित लोकसभा सीट बांसगांव से कांग्रेस ने टिकट के दावेदारों को चौंकाते हुए पूर्व आईपीएस अधिकारी कुश सौरभ को प्रत्याशी घोषित कर दिया है। कांग्रेस मे ऊपरी स्तर पर महीनों से जारी चर्चाओं में कुश सौरभ का नाम नहीं था। कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी व पूर्वी यूपी की प्रभारी, राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने पार्टी इंटेलीजेंस की रिपोर्ट पर पूर्व एसपी विजिलेंस सौरभ को ‘हाथ” पकड़ाकर मैदान में उतार दिया है। कुश सौरभ दो साल तक गोरखपुर में एसपी विजिलेंस के पद पर कार्य कर चुके हैं।
कुश सौरभ का टिकट फाइनल होते ही यहां से कांग्रेसी टिकट के आधा दर्जन दावेदारों ने चुप्पी साध ली है। गौरतलब है कि अभी 16 जनवरी को ही सौरभ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए थे। स्थानीय स्तर की समीक्षा बैठकों में उनके नाम पर बहुत तवज्जो नहीं दिख रही थी।
पार्टी सूत्रों का कहना है कि पार्टी टिकट वितरण को लेकर समीक्षा बैठकें भले करती रही लेकिन साथ ही पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राष्ट्रीय महासचिव ने अपने स्तर से हर लोकसभा क्षेत्र से खुफिया रिपोर्ट भी मंगा रखी है। इस रिपोर्ट में कैंडिडेट प्रोफाइल के साथ ही क्षेत्र में प्रभावकारी समीकरणों को भी शामिल किया गया है।
प्रोफाइल और समीकरणों में भारी पड़े पासवान बिरादरी के सौरभ
माना जा रहा है कि मजबूत प्रोफाइल और समीकरणों के तालमेल में अन्य दावेदारों पर कुश सौरभ ने बाजी मार ली है। सौरभ पासवान बिरादरी हैं। पासवान बिरादरी के ही कमलेश भाजपा के टिकट पर लगातार दो बार जीत दर्ज करा चुके हैं। पासवान बिरादरी के ही राज नारायण पासवान भी भाजपा के टिकट पर इस सुरक्षित सीट से तीन बार सांसद थे। ऐसे में कुश के जरिए पार्टी पासवान बिरादरी के मतों में अपनी पैठ बनाकर जीत लायक स्थिति में पहुंचना चाहती है। बांसगांव संसदीय क्षेत्र में तीन विधानसभा क्षेत्र बांसगांव, चिल्लूपार और चौरीचौरा गोरखपुर जिले में हैं जबकि दो बरहज और रूद्रपुर देवरिया जिले में। कुश का वर्तमान में ताल्लुक चिल्लूपार विधानसभा क्षेत्र से जबकि उनका पैतृक गांव बरहज विधानसभा क्षेत्र में। उनका टिकट फाइनल करने में इसका भी विशेष ख्याल रखा गया।
कौन हैं कुश सौरभ
भारतीय पुलिस सेवा से दिसम्बर 2018 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सियासी मैदान में उतर चुके कुश सौरभ देवरिया जनपद के बरहज क्षेत्र में आने वाले पैना गांव के रहने वाले हैं लेकिन बड़हलगंज के पौहरिया में स्थायी रूप से रहते हैं।
यूपी पुलिस में पीपीएस अफसर के रूप में उनकी ज्वाइनिंग 1986 में हुई और 2009 में उन्हें आईपीएस कैडर मिला। वह 2016 से 2018 तक गोरखपुर जिले में एसपी विजिलेंस रहे। उन्हें सेवा के लिए राष्ट्रपति पदक भी मिल चुका है।
उनकी पत्नी चंद्रप्रभा सौरभ वर्तमान में बड़हलगंज से जिला पंचायत सदस्य हैं। सौरभ के पिता स्व. मंगलदेव का ताल्लुक राजनीति से था, वह भाकपा के प्रदेश महासचिव भी रह चुके थे।