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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीडऩ मामले में क्लीनचिट देने वाली आंतरिक समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की लगातार मांग उठ रही है।
क्लीन चिट के विरोध में महिला वकील व सामाजिक कार्यकर्ता पहले ही सड़क पर उतर चुकी हैं और अब पूर्व केन्द्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने रिपोर्ट सार्वजनिक करने की मांग की है।
पूर्व केंद्रीय सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीडऩ मामले में क्लीनचिट देने वाली आंतरिक समिति की रिपोर्ट को सार्वजनिक किया जाए। आंतरिक जांच समिति द्वारा लिए गए निर्णय को सार्वजनिक न करने का कोई कारण या कानून आधार नहीं है।
आचार्युलु ने कहा, ‘इस देश के लोगों को सूचित किया जाता है कि तीन न्यायाधीशों वाली सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक समिति ने भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर एक पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए यौन उत्पीडऩ के आरोपों में कोई दम नहीं होने का दावा करते हुए क्लीनचिट दे दी।’
उन्होंने कहा कि मुख्य न्यायाधीश और अन्य लोगों के मुताबिक इन आरोपों के पिछे एक बड़ा षड्यंत्र है।
पूर्व सूचना आयुक्त ने कहा, ‘जनहित का मामला लोगों को जानने का अधिकार देता है। इसलिए यौन उत्पीडऩ के मामले में जो जानकारी सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए, उसे छिपाते हुए आंतरिक समिति द्वारा दिए गए फैसले की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए।’
उन्होंने कहा, ‘जब बलात्कार के मामले में अदालतों द्वारा दिए गए फैसले को पीडि़ता के नाम का उल्लेख किए बिना, गवाहों की जांच के सभी विवरणों और उनकी जिरह के साथ सार्वजनिक किया जा सकता है, तो आंतरिक जांच समिति की रिपोर्ट को रोकने का कोई कारण या कानूनी आधार प्रतीत नहीं होता है।’
6 अप्रैल को आंतरिक जांच समिति ने दी क्लीन चिट
सुप्रीम कोर्ट की आंतरिक जांच समिति ने 6 अप्रैल को भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई को यौन उत्पीडऩ के आरोप पर क्लीनचिट दे दी। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे वरिष्ठतम जज जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस इंदु मल्होत्रा इस जांच समिति की सदस्य थे।
सुप्रीम कोर्ट के महासचिव द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आंतरिक समिति ने पांच मई 2019 को इस मामले में जांच रिपोर्ट सौंपा था।
पत्र में कहा गया, ‘आंतरिक समिति ने पाया कि 19 अप्रैल 2019 को सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व कर्मचारी द्वारा लगाए गए आरोपों में कोई दम नहीं है।’ महासचिव ने ‘इंदिरा जयसिंह बनाम सुप्रीम कोर्ट एवं अन्य’ के एक मामले में दिए गए फैसले का हवाला देते हुए कहा कि ये जांच रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जा सकती है।