जुबिली न्यूज डेस्क
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन पर जोरदार हमला करते हुए चीन के साथ संबंधों के लेकर भारत का रूख साफ कर दिया है।
जयशंकर ने चीन को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि भारत को लेकर चीन गलतफहमी में न रहे। चीन को द्विपक्षीय संबंधों को लेकर भारत की स्थिति के बारे में कोई शक नहीं होना चाहिए।
विदेश मंत्री ने कहा है कि द्विपक्षीय संबंधों पर भारत की स्थिति के संबंध में चीन को कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
भारत के विदेश मंत्री का यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारत और चीन के बीच सीमा को लेकर गतिरोध जारी है और बीते एक महीने से सैन्य कमांडर स्तर पर होने वाली बातचीत भी रुकी हुई है।
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सिंगापुर में ब्लूमबर्ग न्यू इकनॉमिक फोरम में बोलते हुए भारत के विदेश मंत्री ने कहा कि मुझे नहीं लगता है चीन को इस संबंध में कोई भी संदेह है कि द्विपक्षीय रिश्तों में हमारी स्थिति क्या है। या हम अपने संबंधों में कहां खड़े हैं। इस द्विपक्षीय संबंध में क्या है जो सही नहीं हुआ।
जयशंकर ने कहा, “मैं अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ कई बार मिला हूँ। जैसा की आपने यह समझा होगा कि मैं बिल्कुल निष्पक्ष होकर बोलता हूँ, तार्किक बोलता हूँ और अपनी बात को पूरी स्पष्टता के साथ रखता हूँ तो ऐसे में अगर वह सुनना चाहते हैं तो मुझे पूरा यकीन है कि उन्होंने बिल्कुल सुना होगा।”
उन्होंने आगे कहा कि बेशक हम हमारे रिश्तों में एक खास मुद्दे पर खराब दौर से गुजर रहे हैं क्योंकि उन्होंने कुछ कदम ऐसे उठाए हैं, जिससे हमारे बीच के समझौते का उल्लंघन हुआ।
विदेश मंत्री ने कहा, इसे लेकर अब भी उनके पास कोई सटीक और विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं है। यह बात एक बार फिर विचार करने के लिए मजबूर करती है कि आखिर वे हमारे बीच के रिश्तों को कहां लेकर जाना चाहते हैं, लेकिन इसका जवाब उन्हें ही देना है।
अमेरिका के साथ संबंधों पर एस जयशंकर ने कहा कि आज की तारीख में अमेरिका कहीं अधिक सहज साझेदार है। उन्होंने कहा,”वे नए विचारों का स्वागत करने के लिए तैयार हैं। बीते समय की तुलना में आज वे साथ मिलकर काम करने और विचारों को लेकर कहीं अधिक खुले हुए हैं।”
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उन्होंने उन बातों को निराधार बताया कि अमेरिका की स्थिति अब पहले की तरह नहीं है। विदेश मंत्री ने कहा कि इसे किसी भी तरह से इस तरह नहीं देखा जाना चाहिए और मेरे हिसाब से यह निराधार और हास्यास्पद है।
इस सम्मेलन में शामिल हुए एस जयशंकर ने कहा कि यह सच है कि चीन विस्तार कर रहा है लेकिन चीन की प्रवृत्ति और उसके विस्तार का तरीका बहुत अलग है और हम ऐसी स्थिति में नहीं हैं, जहां चीन अनिवार्य तौर पर अमेरिका की जगह ले।
हालांकि चीन और अमेरिका के बारे में सोचना स्वाभाविक है।
एस जयशंकर ने बदलते समीकरणों पर कहा कि असल बात यह है कि भारत समेत दुनिया के कई देश अब मैदान में आ चुके हैं।