न्यूज डेस्क
भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और गृहमंत्री सरदार पटेल को लेकर सोशल मीडिया पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर और इतिहासकार रामचंद्र गुहा के बीच तीखी बहस छिड़ गई है।
दरअसल विदेश मंत्री एस. जसशंकर प्रसाद ने एक किताब का हवाला देकर कुछ दावा किया, जिसके बाद प्रसिद्ध इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने उन्हें जवाब दिया है।
विदेश मंत्री जयशंकर ने वीपी मेनन के जीवन पर लिखी गई एक किताब का विमोचन किया। मेनन बंटवारे के वक्त जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल के साथ काम करने वाले अधिकारी थे। इसी किताब के बारे में विदेश मंत्री ने ट्वीट किया कि किताब से जानने को मिला को नेहरू 1947 की कैबिनेट में सरदार पटेल को नहीं चाहते थे।
उन्होंने लिखा कि इस मसले पर बहस होनी चाहिए। खास बात है कि लेखक अपने दावे पर पूरी तरह से अडिग है। वहीं जयशंकर के दावे के बाद इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने इसका जवाब दिया।
Released an absorbing biography of VP Menon by @narayani_basu. Sharp contrast between Patel’s Menon and Nehru’s Menon. Much awaited justice done to a truly historical figure. pic.twitter.com/SrCBMtuEMx
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 12, 2020
ट्विटर पर रामचंद्र गुहा ने लिखा, ‘ये एक मिथ है जिसका खुलासा काफी पहले हो चुका है। इस तरह आधुनिक भारत के निर्माताओं के बारे में फेक न्यूज फैलाना एक विदेश मंत्री को शोभा नहीं देता है। ये काम बीजेपी की आईटी सेल पर छोड़ देना चाहिए।’
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इसके जवाब में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने लिखा कि कुछ विदेश मंत्री किताबें भी पढ़ते हैं, अच्छा हो कि प्रोफेसर भी ऐसा काम करें।
Some Foreign Ministers do read books. May be a good habit for some Professors too. In that case, strongly recommend the one I released yesterday. https://t.co/d2Iq4jafsR
— Dr. S. Jaishankar (@DrSJaishankar) February 13, 2020
मालूम हो जवाहर लाल नेहरू और सरदार पटेल के रिश्तों को लेकर बीजेपी लगातार कांग्रेस पर हमलावर रही है। सरदार पटेल को लेकर बीजेपी कांग्रेस पर हमेशा हमला करती है और उनकी उपेक्षा का आरोप भी लगाती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हो या फिर गृह मंत्री अमित शाह, ये सार्वजनिक मंच से कांग्रेस पर आरोप लगाते आ रहे हैं कि नेहरू की वजह से कांग्रेस ने सरदार पटेल का सही सम्मान नहीं किया।
हालांकि, अगर इतिहास को खंगाले तो ये सामने आता है कि 1947 में सरकार के गठन से पहले खुद जवाहर लाल नेहरू ने सरदार पटेल को चिट्ठी लिखी थी और कहा था कि आपके बिना उनकी कैबिनेट अधूरी होगी। आपसे कैबिनेट में शामिल होने के लिए पूछना सिर्फ एक औपचारिकता ही है क्योंकि आप एक स्तंभ हैं।
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