लखनऊ
इन दिनों ट्रेन का सफर…ये समझ लीजिए आग का दरिया है और पार निकलने का कोई विकल्प मौजूद नहीं। यात्री सुविधाओं के तमाम दावे। दर्जनों घोषणाओं की फुलझडिय़ां। दावा चारबाग रेलवे स्टेशन को वल्र्ड क्लास बनाने का।
बावजूद इसके यात्रियों को असुरक्षा, लापरवाही, जनरल कोच में भूसे की तरह भरे मानुष, ट्रेनों में पैर रखने के लिये मारामारी, शौचालयों में बैठ यात्रा करने सहित पीने के पानी तक के लिये गर्मियों की छुट्टियों में सफर करने वाले यात्रियों को जूझना पड़ेगा।
रेल यात्रियों के सामने यह मुसीबतें मुंह बाये खड़ी हैं। आलम यह है कि जनरल बोगियों के रंग में बदरंग स्लीपर व एसी कोच अपना वजूद खोते जा रहे हैं। तापमान के बढ़ते पारे के साथ ही रेल यात्रियों की मुसीबतों का ग्राफ भी दिन-पर-दिन चढ़ेगा।
इन बदतर हालातों में यात्रा करना किसके लिये सुखद व मंगलमय हो सकता है? मौजूदा समय में भारतीय रेल का सफर यात्रियों के लिये किसी सजा से कम नहीं होगा। लम्बी दूरी की लगभग सभी ट्रेनों में लम्बी वेटिंग दिख रही है तो वहीं कई टे्रनों में पैन्ट्री कार तक नदारद रहने से यात्री भूखे-प्यासे सफर करने का दंश झेलने के लिए तैयार हैं।
आरक्षण के लिये मारामारी किसी से छिपी नहीं है। उस पर दलालों की घुसपैठ आम यात्रियों की सुखद व मंगलमय यात्रा में बाधक बनना लाजमी है।
साथ ही रेल प्रशासन की लापरवाही भी यात्रियों को रुलाने की तरफ बढ़ रही है। वहीं जिम्मेदार विभागीय अधिकारी एसी कक्ष में बैठ यात्रियों की मंगलमय यात्रा बनाने वाली तमाम सहूलियतों का ताना-बाना बुनने का दावा करने में व्यस्त हैं।
नेताओं, अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए आरामगाह बनी भारतीय रेल…आपकी यात्रा मगंलमय होने की सिर्फ कामना ही कर सकने का शुभ संदेश हर मिनट रेलवे स्टेशन पर लगे लाउडस्पीकर से सुनने को मिलते रहेंगे।
क्योंकि बीते साल के दिसम्बर माह में शुरू हुए कोहरे की वजह से कई दर्जन ट्रेनों को निरस्त किया गया था। जिसे 15 फरवरी से शुरू होना था।
कुछ निरस्त ट्रेने का संचालन तो शुरू हुआ लेकिन दर्जन भर से अधिक ट्रेनों का निरस्तीकरण 31 मार्च तक बढ़ा दिया गया था और माह अप्रैल से शुरू होना था, लेकिन भारतीय रेल को मार्च माह के खत्म होने और प्रदेश में लगभग 40 ग्री के तक के तापमान में कोहरा रेलवे ट्रैक पर छाया हुआ दिखाई दे रहा है जिसकी वजह से दर्जन भर से अधिक ट्रेनों का निरस्तीकरण 15 अप्रैल तक बढ़ा दिया गया है।
जिसके परिणाम में रेल यात्रियों के सामने मौसम के हिसाब से अलग-अलग परेशानियां सुरसा सा मुंह फैलाये खड़ी रहती हैं। गर्मियों में जहां यात्रियों को सूखें कंठ खाली पेट यात्रा में पसीना बहाना पड़ता है। तो वहीं सर्दियों में उन्हें घंटों ट्रेनों के इंतजार में प्लेटफार्मों पर ठिठुरना पड़ता है।
मालगाडिय़ों से हो रही कमाई से सवारी गाड़ी को कर रहे हैं नजरअंदाज
भारतीय रेल का फोकस ज्यादा कमाई पर होने की वजह से सवारी गाड़ीयों पर तवज्जो नहीं दे पा रहे हैं क्योंकि पिछले वर्ष भारतीय रेलवे ने मालगाडिय़ों से सात हजार करोड़ रुपए की कमाई की और सवारी गाडिय़ों से दो हजार करोड़ रुपए और अगले छह सालों में यह कमाई को बढ़ाकर चार लाख करोड़ करने लक्ष्य को पूरा करने के दबाव की वजह से सवारी गाडिय़ों का निरस्तीकरण बार-बार बढ़ाया जा रहा है।
पूर्वोत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल के अन्तर्गत 158 स्टेशन आते हैं जहां से लगभग 225 सवारी गाड़ीयां चलाई जा रही हैं ।जिसमें से लगभग 25 टे्रनें निरस्त हैं तो वहीं लगभग लगभग 150 मालगाडिय़ां उसी ट्रैक पर फर्राटा भर रहीं है।
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तो वहीं उत्तर रेलवे के लखनऊ मंडल में भी लगभग नजारा ऐसा ही है इस मंडल के अन्तर्गत 197 रेलवे स्टेशन है जहां से सुपर फास्ट से लेकर एक्सप्रेस, मेमू ट्रेनों को मिलाकर लगभग 300 जोड़ी गाडिय़ां चल रहीं है और 100 से ज्यादा मालगाडिय़ां रफ्तार में रहती हैं।
15 अप्रैल तक निरस्त चलेंगी यह टे्रनें
12583/84 डबलडेकर एक्सप्रेस।
14265/66 जनता एक्सप्रेस।
14235/36 वाराणसी-बरेली एक्सप्रेस।
14004/05 नई दिल्ली-मलदा टाउन एक्सप्रेस।
19269/70 पोरबंदर-मुजफ्फरपुर मोतिहारी एक्सप्रेस।
11109/10 झांसी-लखनऊ जंक्शन झांसी इंटरसिटी।
13119/20 सियालदह-आनंद विहार एक्सप्रेस।
15715/16 किशनगंज-जयपुर गरीब नवाज एक्सप्रेस।
15705/06 कटिहार-दिल्ली चंपारण हमसफर एक्सप्रेस।
15707/08 कटिहार-अमृतसर अम्रपाली एक्सप्रे।
13050/49 अमृतसर-हावड़ा डुप्लीकेट पंजाब मेल।