- असम में बाढ़ से मरने वालों की संख्या हुई 85, अब तक 70 लाख प्रभावित
- भूटान में कई दिनों से लगातार हो रही बारिश की वजह से उत्तरी बंगाल के कई जिलो में बाढ़ की स्थिति गंभीर
जुबिली न्यूज डेस्क
बीते कुछ दिनों से असम और पश्चिम बंगाल में तेज बारिश हो रही है, जिसकी वजह से दोनों राज्यों में बाढ़ की स्थिति पहले से भयावह हो गई है। इन राज्यों में नदियां उफान पर हैं।
असम में भी स्थिति इतनी भयावह है कि वहां 70 लाख से अधिक लोग इससे बुरी तरह प्रभावित हैं। वहां अभी और तेज बारिश होगी इसका अलर्ट है। वहीं पश्चिम बंगाल को भी तेज बारिश का नुकसान झेलना पड़ रहा है। मालदा, जलपाईगुड़ी समेत कई जिलों में तेज बारिश ने बाढ़ की स्थिति को और विकराल बना दिया है। वहां भी जन-जीवन अस्त व्यस्त होने के अलावा बाढ़ ने कई चाय बागानों को अपनी चपेट में ले लिया है।
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असम में बाढ़ से 70 लाख लोग प्रभावित
असम में आई भीषण बाढ़ के कारण अब तक आधिकारिक रूप से 85 लोगों की मौत हुई है। राज्य के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनावाल ने मीडिया से कहा है कि ‘असम में आई बाढ़ से अब तक 70 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं।’
असम राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक ‘असम के 2,254 गांव पूरी तरह बाढ़ की चपेट में हैं और सोमवार रात तक 24 लाख 30 हजार 502 लोग प्रभावित हुए हैं। बाढ़ की वजह से सबसे ज्यादा नुक़सान धुबड़ी, ग्वालपाड़ा, बरपेटा, मोरीगांव और धेमाजी जिलेे में हुआ है।’
प्राधिकरण के स्टेट प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर पकंज चक्रवर्ती के मुताबिक “बाढ़ प्रभावित इलाकों में एनडीआरएफ, एसडीआरएफ तथा स्थानीय प्रशासन के अधिकारी बचाव और राहत के कार्य में लगे हुए हैं। इसके अलावा जिन लोगों के घर पूरी तरह बाढ़ के पानी में हैं उनके लिए अलग-अलग जिलों में 468 राहत शिविर खोले गए हैं जिनमें 48,107 लोग ठहरे हुए हैं। ”
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के अनुसार इस समय ब्रह्मपुत्र का पानी डिब्रूगढ़, जोरहाट, तेजपुर, ग्वालपाड़ा और धुबड़ी में अपने खतरे के निशान से ऊपर बह रहा है, जबकि ब्रह्मपुत्र की सहायक नदियां धनश्री, जिया भराली, कोपीली, बेकी और कुशियारा पूरे उफान पर हैं।
बाढ़ की चपेट में काजीरंगा नेशनल पार्क
असम में बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। कोरोना महामारी के बीच बाढ़ ने लोगों की मुश्किलों को बढ़ा दिया है। बाढ़ की वजह से सैकड़ों गांवों के लोग अपना घर छोडऩे को मजबूर हो गए है। असम डिब्रूगढ़ जिले के कई गांव बाढ़ की चपेट में हैं। और तो और मुख्यमंत्री के मुलुक गांव में भी बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है।
बाढ़ ने काजीरंगा नेशनल पार्क में भी तबाही मचाई है। वन विभाग के अनुसार, बाढ़ के कारण काजीरंगा नेशनल पार्क में अब तक 113 जानवरों की मौत हुई है, जबकि 140 अन्य जानवरों को राष्ट्रीय उद्यान में बचाया गया है। इस दौरान बाढ़ के कारण 9 गैंडों के मरने की बात भी कही जा रही है।
पश्चिम बंगाल में भी हालत गंभीर
पश्चिम बंगाल में कई क्षेत्र में बाढ़ की स्थिति गंभीर होती जा रही है। वहीं पड़ोसी भूटान में बीते कई दिनों से लगातार होने वाली भारी बारिश ने उत्तरी बंगाल के कई जिलो में बाढ़ आ गई है। भूटान के अलावा इस इलाके में भी बीते चार-पांच दिनों से भारी बारिश हो रही है।
इस इलाके की तमाम नदियां भूटान की पहाडिय़ों से निकलती हैं। ऐसे में उद्गम स्थल पर बारिश से हर साल कूचबिहार, अलीपुरदुआर और जलपाईगुड़ी इलाके बाढ़ के पानी में डूब जाते हैं।
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इस बाढ़ ने जहां इलाके के कम से कम आधा दर्जन चाय बागानों को जलमग्न कर दिया है, वहीं इससे भूमिकटाव की समस्या भी गंभीर हो गई है।
मालदा जिले में महानंदा नदी के तटबंध में दरार के बाद कई तटवर्ती इलाकों में पानी भर गया है। वहां से तीन सौ परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है। फिलहाल तटबंध की मरम्मत का काम चल रहा है। जिले के दूसरे इलाके में भी सात सौ परिवारों को राहत शिविरों में रखा गया है। जलपाईगुड़ी और अलीपुरदुआर जिलों में भी एक हजार से ज़्यादा परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
इंडियान टी एसोसिएशन (आईटीए) की डुआर्स शाखा के सचिव संजय बागची के अनुसार, “लॉकडाउन की वजह से चाय बागानों में उत्पादन पहले ही घट कर 40 फीसदी रह गया था। अब बाढ़ की मार से इसमें और गिरावट का अंदेशा है। ”
इस बीच, कोलकाता स्थित मौसम विभाग ने अगले कुछ तीन-चार दिनों तक हिमालय की तराई वाले इलाकों में बारी बारिश की चेतावनी दी है। इससे बाढ़ की स्थिति गंभीर होने का अंदेशा है।