जुबिली न्यूज़ डेस्क
कोरोना काल के बीच आज सावन का पहला सोमवार है। कोरोना के संक्रमण तेजी से फैलने के बावजूद भी शिवालयों के बाहर भगवान के भक्तों की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। हालांकि कोरोना की वजह से उस तरह का माहौल नहीं हैं जैसे पहले सावन में देखने को मिलता है। फिर भी सावन में भगवान शिव को मनाने के लिए उनके भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं।
कई मंदिरों के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ लाइन लगी हैं। भगवान शिव का जलाभिषेक किया जा रहा है। बताया जा रहा है कि इस बार शुरू हुआ श्रावण मास पिछले कई सालों बाद दुर्लभ संयोग लेकर आया है। उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्रावण का समापन तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में हो रहा है।
इस बार शिव भक्तों को पांच सोमवार बाबा के दर्शन मिलेंगे। इस एक महीने में पांच सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या का आना अपने आप में अद्वितीय है। ज्योतिषियों के अनुसार श्रावण मास में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का ऐसा विशिष्ट संयोग बीती तीन सदी में नहीं बना है।
शनि प्रदोष महाकालेश्वर ज्योतिर्लिग की पूजन परपंरा के लिए विशेष है। यहां इस दिन भगवान महाकाल उपवास रखते हैं। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार पंचांगीय गणना, उज्जयिनी के जीरो रेखांश का गणित और नक्षत्र मेखला की इकाई गणना से देखें तो इस बार श्रावण मास का आरंभ और समापन सोमवार के दिन उत्ताराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में होगा। यह नक्षत्र कार्यो की सिद्घि के लिए श्रेष्ठ माना जाता है।
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13 जुलाई को पड़ रहे दूसरे सोमवार को रेवती नक्षत्र, सुकर्मा योग, कोलव करण का संयुक्त क्रम पड़ेगा। यह स्थिति भक्तों को मानोवांछित फल की प्राप्ति के लिए धार्मिक कार्यो का पांच गुना शुभफल प्रदान करेगी। इसके बाद 20 जुलाई को हरियाली सोमवती अमावस्या पर पुनर्वसु नक्षत्र के बाद रात्रि में 9.22 बजे से पुष्य नक्षत्र रहेगा।
रक्षाबंधन पर दिनभर है श्रवण नक्षत्र
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, पुष्य नक्षत्र का सोमवार के दिन आना सोम पुष्य कहलाता है। अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्घि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है। जबकि 27 जुलाई को चौथे सोमवार पर सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से इस दिन को संकल्प सिद्घि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है।
रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी बताया जाता है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों के लिए यह दीर्घायु व सुख समृद्घि का कारक माना जाता है।