जुबिली न्यूज डेस्क
दिल्ली में इस बार पटाखे नहीं फूटेंगे। इस बार भी केजरीवाल सरकार ने दिवाली पर दिल्ली में हर तरह के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।
दिल्ली सरकार ने ये फैसला राजधानी में सर्दियों के मौसम में बढ़ते प्रदूषण पर काबू करने के उपायों के तहत किया है। सीएम अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि पिछले 3 साल से दिवाली के समय दिल्ली के प्रदूषण की खतरनाक स्थिति को देखते हुए पिछले साल की तरह इस बार भी हर प्रकार के पटाखों के भंडारण, बिक्री एवं उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा रहा है, जिससे लोगों की जिंदगी बचाई जा सके।
“Just like last year, there will be a complete ban on storage, sale, and bursting of all kinds of firecrackers this year too, in wake of the situation of pollution in Delhi during Diwali in the last three years,” tweets Delhi CM Arvind Kejriwal. pic.twitter.com/5bh87eZbbe
— ANI (@ANI) September 15, 2021
दूसरे ट्वीट में मुख्यमंत्री केजरीवाल ने कहा कि पिछले साल व्यापारियों द्वारा पटाखों के भंडारण के पश्चात प्रदूषण की गंभीरता को देखत हुए देर से पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया था जिससे व्यापारियों को काफी नुकसान हुआ था। सभी व्यापारियों से अपील है कि इस बार पूर्ण प्रतिबंध को देखते हुए किसी भी तरह के पटाखों का भंडारण न करें।
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वहीं, दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने राजधानी दिल्ली में प्रदूषण पर काबू करने के उपायों पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव से मुलाकात का समय मांगा।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री के सचिव ने इस संबंध में केंद्रीय मंत्री के निजी सचिव को एक पत्र लिखा है।
सोमवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि वह पूसा बायो-डीकम्पोजर की ऑडिट रिपोर्ट के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगे और उनसे किसानों के बीच इसे मुफ्त वितरित करने के लिए दिल्ली के आसपास के राज्यों को निर्देश देने का आग्रह करेंगे। बायो-डीकम्पोजर एक प्रकार का तरल पदार्थ है जो 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल सकता है।
उन्होंने कहा था कि एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा कराए गए ऑडिट में पूसा बायो-डीकम्पोजर का उपयोग काफी प्रभावी पाया गया है। दिल्ली सरकार ने पिछले साल यहां भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार तरल पदार्थ का प्रयोग किया था।
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मालूम हो कि पिछले साल पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा था कि पूसा बायो-डीकम्पोजर का पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में उपयोग किया जाएगा और अगर यह तकनीक सफल होती है तो और क्षेत्रों में इसका विस्तार किया जाएगा।
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वहीं किसानों का कहना है कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच 10-15 दिनों का छोटा सा अंतराल होता है और वे पराली जलाते हैं क्योंकि यह पुआल के प्रबंधन तथा अगली फसल के लिए खेत को तैयार करने का किफायती और समय बचाने वाला तरीका है।
इसके साथ ही मंगलवार को दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि सरकार ने विभिन्न संबंधित विभागों को 21 सितंबर तक अपनी कार्य योजना तैयार करने को कहा है और उनके आधार पर राजधानी में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए “विंटर एक्शन प्लान” बनाया जाएगा।